हर तूफा से पहले होती है खामोशी
सुबह से पहले भी होती है खामोशी
हर खामोशी के आगे होता है धमाल
चाहे मुसीबत का हो या खुशियों का
इसलिए कभी कभी अधिक खामोशी
उड़ा देती है अच्छे अच्छों के होश
हर खामोशी के बाद आता है जोश
कुछ को खामोशी भी भली लगती
जिनकी जिंदगी शोर से भरी होती
कई लोग हर गाम खामोशी से
झेल जाते हैं , खुशियों को भी
खामोशी में खेल जाते हैं ,
प्यार भी तो खामोशी से होता है
बवाल तो जगजाहिर होने पर होता है