मां तो बस मां है
उसके आगे कुछ भी नहि
मां की ममता मां की महिमा
इस से बढ़कर कुछ भी नही
सारे दुखो को सहकर
अपने रक्तो से सींचकर
वह हमे है जनती
खुद भूखी रहकर भी
वह बच्चो का पेट है भरती
फिर भी हम नाकारे अकल के मारे
उसकी कदर ना करते हैं ,
हमसे बड़ा न कोई राक्षस
जो मां को मां ना समझे,
जय हो जननी मां की
चरण वंदना करू मैं उनकी