अपने सभी सम्माननीय शिक्षकों को मैं सादर अभिवादन करती हूं जिन्होंने मुझ जैसे तुच्छ प्राणी को तराश कर समाज के योग्य बनाया ।
सर्वप्रथम मेरे गुरू अम्मा पिताजी हैं, जिन्होंने जन्म के साथ ही संस्कारों की छाया में हमें पोषित किया। सर्वप्रथम वर्णमाला से भी परिचय अम्मा पिताजी ने करवाया ।
मेरा सौभाग्य है कि जीवन पर्यन्त् सर्वश्रेष्ठ गुरू मिले, जिनके आशीर्वाद से ही मैं अपने को सुव्यवस्थित कर सकी हूं ।
जीवन का हर क्षण किसी न किसी रूप में हमें शिक्षा प्रदान करता है, अतः जीवन व्यक्ति का सबसे बड़ा गुरू है, अगर जीवन के प्रति प्रेम और सम्मान है ,तो विकट परिस्थिति में भी हम धैर्य और सशक्त सोच के सहारे बाहर आ जाते हैं ।
प्रकृति भी हमारे जीवन को शिक्षित करती है, क्योंकि प्रकृति सदैव हमें देती ही रहती है,
संसार में जिसमें देने की प्रवृत्ति होती है वह सदैव आनन्दित रहता है, पर लेने वाला मुझे कम मिला या ज्यादा के चक्कर में पडकर दुःखी ही रहता है,