राम नाम की महिमा
इस प्रकार राम का नाम, ब्रह्म और सगुण श्री राम दोनों से बड़ा है ।
यह वरदान देने वालों को भी पुण्य देने वाला है ,श्री शिव जी ने अपने हृदय में यह जानकारी सौ करोड़ राम चरित्रों में से इस राम नाम को ही ग्रहण किया है ।
नाम ही के प्रसाद से शिवजी अविनाशी हैं और अमंगल वेश वाले होने पर भी मंगल दायक है ।सुखदेव जी और सनकादि सिद्ध मुनि ,योगी नाम के ही प्रसाद से ब्रह्मानंद को प्राप्त करते हैं ।
नारद जी ने नाम के प्रताप को जाना है हरि हर संसार को प्यारे हैं और नारद जी हरि और हर दोनों को कह रहे हैं ,नाम के जपने से और प्रभु की कृपा से प्रहलाद भक्त शिरोमणि हो गए ।भक्त ध्रुवजी ने ग्लानी से हरी नाम जपा और उसके प्रताप से अचर अनुपम स्थान प्राप्त किया। हनुमान जी ने पवित्र नाम का स्मरण करके श्री राम जी को अपने वश में कर रखा है ।
नीच अजामिल ,गज, और गणिका भी श्री हरि के नाम के प्रभाव से मुक्त हो गए ।
कलयुग में राम का नाम कल्पतरू और कल्याण का निवास है ,जिसको स्मरण करने से निकृष्ट तुलसीदास भी तुलसी के समान पवित्र हो गये। चारों युगों में ,तीनों कालों में, और तीनों लोकों में नाम को जपकर जीव शोक रहित हो जाता है।
वेद पुराण और संतों का मत है कि समस्त गुणों का फल श्री राम जी में प्रेम होना ही है ।
श्री राम का नाम संसार के सब कष्टों को नाश कर देने वाला है ,और राम नाम मनोवांछित फल देने वाला है ।कलयुग में सत्कर्म ,भक्ति और ज्ञान ना होने के कारण राम नाम का ही एक आधार है ।
अच्छे भाव से ,और बुरे भाव से ,क्रोध से ,या आलस्य से किसी तरह से भी राम का नाम जपने से ,दसों दिशाओं में
कल्याण होता है ,
उसी परमकल्याणी राम नाम का स्मरण करके ,श्री राम रघुनाथ जी को मस्तक नवाकर सर्वत्र कल्याण ही कल्याण होता है।
जया शर्मा प्रियंवदा