shabd-logo

11. अंतरात्मा होता है सच का अनुगामी

9 जून 2023

11 बार देखा गया 11
जीवन सूत्र 11: अंतरात्मा सच का अनुगामी होता है

भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन में चर्चा जारी है।

यह संसार नाशवान है और अगर कोई चीज नश्वर है तो वह है परमात्मा तत्व जो सभी मनुष्यों के शरीर में स्थित है।

(श्लोक 18 से आगे की चर्चा)

आत्म तत्व को और स्पष्ट करते हुए भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को समझाते हैं:-

य एनं वेत्ति हन्तारं यश्चैनं मन्यते हतम्।

उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते।(2/19)।

इसका अर्थ है:-जो इस आत्मा को मारने वाला समझता है और जो इसको मरा समझता है वे दोनों ही नहीं जानते हैं, क्योंकि यह आत्मा न किसी को मारती है और न मारी जाती है।

वास्तव में आत्मा मनुष्य द्वारा संपन्न किए जाने वाले कार्यों का कर्ता नहीं है। वह स्वयं कोई कार्य नहीं करती है।मन जो विषयों की ओर अभिमुख होता है, यहां-वहां भटकता रहता है,उसकी हमारे अस्तित्व में प्रभावी भूमिका होती है और आत्मा गौण होकर रह जाती है।हम मन को विचारों के उन बादलों की तरह समझें जो सूर्य के प्रकाश को ढक लेते हैं।अगर हम अपनी आत्मा को न पहचानें तो यह आत्मा धूल में पड़े हुए हीरे की तरह ही अप्रकाशित रह जाती है।मन विषय सुख की ओर दौड़ता है, बुद्धि मन की ही एक विशेष अवस्था है, जिसमें हम मस्तिष्क की सहायता से भले-बुरे का निश्चय करते हैं।वहीं आत्मा अपने स्वरूप में परमात्मा की ओर अभिमुख है क्योंकि वह परमात्मा का ही अंश है।आत्मा एक ऊर्जा है।शक्ति है।उसका सदुपयोग हमारे कार्यों पर निर्भर है।प्रायःआत्मशक्ति भी सुप्त अवस्था में होती है।यह मन पर आत्मा का ही प्रभाव है कि मनुष्य अनेक कार्यों को करने के बाद पश्चाताप का अनुभव करता है और अनेक अवसरों पर अंतरात्मा की आवाज कहकर अन्याय का विरोध भी करता है।मन हमें बंधनों में बांधता है और आत्मा की जाग्रति हमें बंधनों से मुक्त करती है। गीता में भी कहा गया है- मन से परे बुद्धि है और बुद्धि से परे आत्मा है।

मन तार्किक है।यह चीजों को स्वीकार करता है और अस्वीकार करता है,जबकि आत्मा के स्तर पर मनुष्य के ऊपर उठने के बाद स्वीकार या अस्वीकार का प्रश्न समाप्त हो जाता है।चित्तकोष या स्मृति कोष में संचित अनुभूतियां या ज्ञानेंद्रियों के एकत्र संज्ञान के आधार पर ही चित्त, बुद्धि को किसी निर्णय पर पहुंचने में सहायता प्रदान करता है। हमारा एक स्थूल शरीर है जो दिखाई देता है तो एक सूक्ष्म शरीर भी है जो प्रायः हमारी नींद जैसी सुप्तावस्था में भी सक्रिय रहता है।देह से प्राण निकलने के बाद स्थूल शरीर तो वहीं रह जाता है लेकिन सूक्ष्म शरीर आत्मा के साथ बाहर निकल जाती है।सूक्ष्म शरीर कामनाओं,वासनाओं,अनुभव,ज्ञान आदि के संचित रूप में सूक्ष्म शरीर;आत्मा के साथ आगे की यात्रा पर निकल पड़ता है। मोक्ष को प्राप्त आत्माओं के साथ सूक्ष्म शरीर और उसके विभिन्न उपादानों की इस तरह की यात्रा जारी नहीं रहती और ऐसी आत्मा परमात्मा में विलीन हो जाती है।

आत्मा कोई कामना या इच्छा भी नहीं रखती है,जिससे यह कहा जाए कि यह कार्य मनुष्य आत्मा के निर्देश पर कर रहा है या आत्मा के लिए कर रहा है।कुल मिलाकर आत्मा मनुष्य के किसी भी कार्य का कर्ता नहीं है।न आत्मा स्वयं मरती है,न किसी को मारती है।यही कारण है कि युद्ध भूमि में भगवान कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि उन्हें इस दृष्टिकोण(धर्म युद्ध में किसी को मारने में कर्ता की भूमिका) को लेकर युद्ध करने से नहीं बचना चाहिए।पांडवों और कौरवों के मध्य इस युद्ध का स्पष्ट रूप से सामना करना चाहिए।वास्तविक जीवन में भी कोई कड़ा निर्णय लेने के समय मनुष्य; अर्जुन की ही तरह दुविधा की स्थितियों से गुजरता है। जहां भगवान कृष्ण के उपदेश प्रासंगिक हो उठते हैं।

डॉ. योगेंद्र कुमार पांडेय

deena

deena

आत्मा के वर्तमान जन्म और जन्मांतर की यात्रा पर बेहतरीन प्रस्तुति

9 जून 2023

24
रचनाएँ
भगवान श्रीकृष्ण उवाच
0.0
परिचय श्रीमद्भागवतगीता भगवान श्री कृष्ण द्वारा वीर अर्जुन को महाभारत के युद्ध के पूर्व कुरुक्षेत्र के मैदान में दी गई वह अद्भुत दृष्टि है, जिसने जीवन पथ पर अर्जुन के मन में उठने वाले प्रश्नों और शंकाओं का स्थाई निवारण कर दिया।इस स्तंभ में कथा,संवाद,आलेख आदि विधियों से श्रीमद्भागवत गीता के उन्हीं श्लोकों व उनके उपलब्ध अर्थों को मार्गदर्शन व प्रेरणा के रूप में लिया गया है।भगवान श्री कृष्ण की प्रेरक वाणी किसी भी व्याख्या और विवेचना से परे स्वयंसिद्ध और स्वत: स्पष्ट है। श्री कृष्ण की वाणी केवल युद्ध क्षेत्र में ही नहीं बल्कि आज के समय में भी मनुष्यों के सम्मुख उठने वाले विभिन्न प्रश्नों, जिज्ञासाओं, दुविधाओं और भ्रमों का निराकरण करने में सक्षम है। इस धारावाहिक में लेखक द्वारा अपने आराध्य श्री कृष्ण से संबंधित द्वापरयुगीन घटनाओं व श्रीमद्भागवत गीता के श्लोकों व उनके उपलब्ध अर्थों व संबंधित दार्शनिक मतों की साहित्यिक प्रस्तुति है,जिसमें कहीं-कहीं लेखक की रचनात्मक कल्पना और भक्तिभाव भी भरे हैं।यह धारावाहिक -"भगवान श्री कृष्ण उवाच" भगवान श्री कृष्ण की प्रेरक वाणी से वर्तमान समय में जीवन सूत्रों को ग्रहण करने और सीखने का एक भावपूर्ण रचनात्मक लेखकीय प्रयत्नमात्र है,जो सुधि पाठकों के समक्ष प्रतिदिन प्रस्तुत करने का प्रयत्न है, कृपया पढ़िएगा अवश्य…….✍️🙏
1

1:रोजमर्रा के छोटे-छोटे 'मोह' से करें किनारा

29 मई 2023
6
3
1

गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है:-कुतस्त्वा कश्मलमिदं विषमे समुपस्थितम्।अनार्यजुष्टमस्वर्ग्यमकीर्तिकरमर्जुन।।2/2।।इसका अर्थ है,"हे अर्जुन! इस विषम समय पर तुम्

2

2 : सफलता के लिए आवश्यक है मनोबल

31 मई 2023
4
2
1

सफलता के लिए आवश्यक है मनोबल गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा है:-क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ नैतत्त्वय्युपपद्यते।क्षुद्रं हृदयदौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परंतप।(2/3)। अर्थ

3

3 : आवश्यकता से अधिक सोच-विचार और चिंतन से नकारात्मकता के प्रवेश का डर

31 मई 2023
2
1
1

3 : आवश्यकता से अधिक सोच-विचार और चिंतन से नकारात्मकता के प्रवेश का डरगीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा है:- अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे।गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिता

4

4:आप और हम सब हर युग में रहेंगे

1 जून 2023
2
2
1

आप और हम सब हर युग में रहेंगे भारतवर्ष का भावी इतिहास तय करने वाले निर्णायक युद्ध के पूर्व ही अर्जुन को चिंता से ग्रस्त देखकर भगवान श्री कृष्ण ने समझाया कि मनुष्य का स्वभाव चिंता करने वाला

5

5 :शरीर की अवस्था में बदलाव स्वीकार करें

2 जून 2023
2
1
1

अवस्था में बदलाव स्वीकार करें हजारों वर्ष पूर्व श्री कृष्ण के मुखारविंद से कही गई गीता आज भी उसी उत्साह के साथ पढ़ी और सुनी जाती है।आधुनिक संदर्भों में इसके और नए-नए उपयोगी

6

6:सुख - दुख हैं अस्थाई, इनमें संतुलित रहें

3 जून 2023
3
1
1

6 सुख और दुख हैं अस्थायी, इनमें संतुलित रहें श्री कृष्ण प्रेमालय में बने कृष्ण मंदिर में रोज शाम को सांध्य पूजा और आरती के बाद संक्षिप्त धर्म चर्चा होती है। आचार्य सत्यव्रत की ज्ञान चर्चा मे

7

7 :शिकायत छोड़ें, सुख दुख समझें एक समान 

5 जून 2023
2
1
1

7 शिकायत छोड़ें, सुख दुख समझें एक समान छात्रावास के बालक पृथ्वी को हर चीज से शिकायत रहती है।मानो उसने शिकायत करने के लिए ही जन्म लिया है।छात्रावास में उसे कोई भी असुविधा हुई तो शिकायत।

8

8 :जीत सत्य की होती है

6 जून 2023
1
0
0

जीत सत्य की होती हैपृथ्वी द्वारा उठाए गए प्रश्न और उसके समाधान को विवेक ने कल की ज्ञान चर्चा में ध्यानपूर्वक सुना था।वह विचार करने लगा कि दुनिया में जो भी घटित होता है, वह वही होता है जो उसे किस

9

9: आत्मा में है जादुई शक्ति

7 जून 2023
2
1
1

जीवन सूत्र 9 आत्मा में है जादुई शक्तिवास्तव में वह एक परम सत्ता ही अविनाशी तत्व है,जिसे लोग अपनी-अपनी उपासना पद्धति के अनुसार अलग-अलग नामों से जानते हैं।मनुष्य को प्राप्त जीवन, उसके प्राण का अस्तित्व,

10

10: नाशवान शरीर को सुविधाभोगी ना बनाएं

8 जून 2023
2
1
1

जीवन सूत्र 10 नाशवान शरीर की जरूरत से ज्यादा देखभाल न करें परमात्मा के एक अंश के रूप में शरीर में आत्मा तत्व की उपस्थिति इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हम इसके माध्यम से उस परमात्मा से जुड़ सकते हैं

11

11. अंतरात्मा होता है सच का अनुगामी

9 जून 2023
2
1
1

जीवन सूत्र 11: अंतरात्मा सच का अनुगामी होता हैभगवान श्री कृष्ण और अर्जुन में चर्चा जारी है।यह संसार नाशवान है और अगर कोई चीज नश्वर है तो वह है परमात्मा तत्व जो सभी मनुष्यों के शरीर में स्थित है।(श्लोक

12

12 :आपके भीतर ही है चेतना,ऊर्जा और दिव्य प्रकाश

10 जून 2023
1
0
0

12 :आपके भीतर ही है चेतना,ऊर्जा और दिव्य प्रकाश भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन में चर्चा जारी है। जो इस आत्मा को मारने वाला समझता है और जो इसको मरा समझता है वे दोनों ही नहीं जानत

13

13: कभी अप्रिय निर्णय भी हो जाते हैं अपरिहार्य

12 जून 2023
0
0
0

13: कभी अप्रिय निर्णय भी हो जाते हैं अपरिहार्य(भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन में चर्चा जारी है।)यह आत्मा कभी किसी काल में भी न जन्म लेता है और न मरता है और न यह एक बार होकर फिर गायब हो जाने वाला है।यह आत

14

14.सुंदरता के बदले आंतरिक प्रसन्नता और सक्रियता है जरूरी

13 जून 2023
0
0
0

14.सुंदरता के बदले आंतरिक प्रसन्नता और सक्रियता है जरूरीइस लेखमाला में मैंने गीता के श्लोकों व उनके अर्थों को केवल एक प्रेरणा के रूप में लिया है।यह न तो उनकी व्याख्या है न विवेचना क्योंकि मुझमें मेरे

15

15. आपके पास ही है अक्षय शक्ति वाली आत्मा

14 जून 2023
0
0
0

15.आपके पास ही है अक्षय शक्ति वाली आत्मा, आत्मशक्ति का लोकहित में हो विस्तार गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने जिज्ञासु अर्जुन से कहा है:- नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।

16

16. एकाग्र होने और पूर्ण मनोयोग रखने पर प्राप्त होती है आत्मा से सूझ और शक्ति  

16 जून 2023
1
1
0

16. एकाग्र होने और पूर्ण मनोयोग रखने पर प्राप्त होती है आत्मा से सूझ और शक्ति गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने आत्मा की शक्तियों की विवेचना करते हुए आगे कहा है:- अच्छेद्योऽयमदाह्योऽयमक

17

17. इस जन्म की पूर्णता के बाद एक और नई यात्रा,कुछ भी स्थायी न मानें इस जग में  

17 जून 2023
0
0
0

जीवन सूत्र 17. इस जन्म की पूर्णता के बाद एक और नई यात्रा,कुछ भी स्थायी न मानें इस जग में भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन की चर्चा जारी है। आत्मा की शक्तियां दिव्य हैं और यह हमारी देह में साक्षात

18

18: भीतर की आवाज की अनदेखी न करें

18 जून 2023
0
0
0

18:भीतर की आवाज की अनदेखी न करें इस लेखमाला में मैंने गीता के श्लोकों व उनके अर्थों को केवल एक प्रेरणा के रूप में लिया है।यह न तो उनकी व्याख्या है न विवेचना क्योंकि मुझमें मेरे आराध्य भगवान क

19

19: सारे कार्य महत्वपूर्ण हैं, कोई छोटा या बड़ा नहीं

19 जून 2023
0
0
0

19:कार्य सारे महत्वपूर्ण हैं, कोई छोटा या बड़ा नहीं गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है:- स्वधर्ममपि चावेक्ष्य न विकम्पितुमर्हसि। धर्म्याद्धि युद्धाछ्रेयोऽन्यत्क्षत्र

20

20. वीरों के सामने ही आती हैं जीवन में चुनौतियां

20 जून 2023
0
0
0

20:वीरों के सामने ही आती हैं जीवन की चुनौतियां गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है:- यदृच्छया चोपपन्नं स्वर्गद्वारमपावृतम्। सुखिनः क्षत्रियाः पार्थ लभन्ते युद्धमीदृशम

21

21.चुनौतियों में जन सेवा धर्मयुद्ध के समान

22 जून 2023
0
0
0

21.चुनौतियों में जन सेवा धर्मयुद्ध के समान गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है:- अथ चैत्त्वमिमं धर्म्यं संग्रामं न करिष्यसि। ततः स्वधर्मं कीर्तिं च हि

22

22.अपयश से बचने साहसी चुनते हैं वीरता  

23 जून 2023
0
0
0

22.अपयश से बचने साहसी चुनते हैं वीरता गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है:- अकीर्तिं चापि भूतानि कथयिष्यन्ति तेऽव्ययाम्। संभावितस्य चाकीर्तिर्मरणादतिरिच्यते।।2/34।।

23

23 आत्म सम्मान की सीमा रेखा की रक्षा करें

24 जून 2023
0
0
0

23 आत्म सम्मान की सीमा रेखा की रक्षा करें भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है: - अवाच्यवादांश्च बहून् वदिष्यन्ति तवाहिताः। निन्दन्तस्तव सामर्थ्यं ततो दुःखतरं नु किम्।(2/3

24

24. आगे बढ़ें तो सारे विकल्प उपलब्ध होते रहेंगे

27 जून 2023
0
0
0

24. आगे बढ़ें तो सारे विकल्प उपलब्ध होते रहेंगे अर्जुन श्रीकृष्ण की इस बात से पूरी तरह सहमत हैं कि अगर वे युद्ध से हटते हैं तो उन्हें "अर्जुन कायरता के कारण युद्ध से हट गया" ऐसे निंदा और अपमान

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए