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5 :शरीर की अवस्था में बदलाव स्वीकार करें

2 जून 2023

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अवस्था में बदलाव स्वीकार करें

        हजारों वर्ष पूर्व श्री कृष्ण के मुखारविंद से कही गई गीता आज भी उसी उत्साह के साथ पढ़ी और सुनी जाती है।आधुनिक संदर्भों में इसके और नए-नए उपयोगी अर्थ निकलते जाते हैं। एक बालक विवेक को बचपन से ही आध्यात्मिक ग्रंथों के अध्ययन में रुचि है। आवासीय विद्यालय के आचार्य सत्यव्रत आधुनिक पद्धति की शिक्षा देने के साथ-साथ प्राचीन जीवन मूल्यों और परंपरागत नैतिक शिक्षा के उपदेशों को भी शामिल करते रहते हैं।वे बार-बार बच्चों से कहते हैं कि विद्या का उद्देश्य जीवन में धन,पद, यश,प्रतिष्ठा प्राप्त करना नहीं है।जीवन का व्यावहारिक ज्ञान पाने,श्रेष्ठ नागरिक गुणों का विकास और समाज उन्मुखी श्रेष्ठ जीवन जीने के लिए शिक्षा आवश्यक है।सच्चा ज्ञान केवल किताबी कीड़ा नहीं बनाता बल्कि संकटकालीन परिस्थितियों में निर्णय लेने के लिए आवश्यक सूझ और विवेक भी प्रदान करता है।

आचार्य सत्यव्रत ने इस आवासीय विद्यालय का नाम रखा है- श्रीकृष्ण प्रेमालय। यहां मानवता की शिक्षा दी जाती है। बच्चों की प्रातः कालीन सभा में आचार्य कहा भी करते हैं, अगर हम स्वयं में ही सुधर गए, बुराइयों से मुक्त हो गए तो समाज को बदलने में देर नहीं लगेगी। वे कहा करते हैं,मानवता सबसे बड़ा धर्म है। हमारा शरीर भी एक मंदिर है।आत्म रूप में स्वयं ईश्वर इसमें विराजते हैं।विद्यार्थियों को योग ध्यान, प्राणायाम तथा खेलकूद से स्वस्थ रखकर मंदिर को जर्जर होने से बचाना है।विद्यार्थियों द्वारा ज्ञान प्राप्त करना और इसके लिए लगातार परिश्रम करते रहना सबसे बड़ी पूजा है।सत्य निष्ठा पूजा के फूल हैं तो ईमानदारी और सहज सरल जीवन स्वयं में जीवन को आराधना बना देना है।वे कहते हैं प्राणी मात्र से प्रेम करो। घृणा और नफरत नहीं।मानव-मानव के बीच किसी भी आधार पर भेद मत करो।सहयोग,सेवा और राष्ट्रभक्ति में अपना जीवन समर्पित कर दो। स्वयं पर गर्व करो कि तुम इस धरती के महानतम और प्राचीनतम राष्ट्र के निवासी हो।

विद्यार्थीगण मंत्रमुग्ध होकर आचार्य जी की बातें सुनते हैं और उसे जीवन में उतारने का संकल्प लेते हैं।

आज की प्रार्थना सभा में विवेक ने गुरुदेव से प्रश्न किया,

विवेक: गुरुदेव गीता का एक श्लोक है,

देहिनोऽस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा।

तथा देहान्तरप्राप्तिर्धीरस्तत्र न मुह्यति।।2/13।।

देहधारीके इस मनुष्यशरीरमें जैसे बालकपन, जवानी और वृद्धावस्था होती है,ऐसे ही देहान्तर की प्राप्ति होती है।इस देह का भी परिवर्तन होता है। इस विषयमें धीर मनुष्य मोहित नहीं होता।गुरुदेव, मृत्यु और परिजनों से विछोह तो एक दुखद घटना है फिर उसे इस तरह क्यों बताया गया है कि जैसे शरीर में बाल्यावस्था, युवावस्था, वृद्धावस्था आती है, बस वैसे ही, शरीर के अंत के बाद एक नये शरीर की प्राप्ति होती है। क्या मृत्यु भी केवल एक अवस्था परिवर्तन है?

आचार्य सत्यव्रत: हां विवेक, मृत्यु भी अवस्था परिवर्तन ही है लेकिन बाल्यावस्था, युवावस्था और वृद्धावस्था से अलग।मृत्यु एक नये जन्म की तैयारी है।सूक्ष्म शरीर में संचित संस्कारों के साथ एक नई यात्रा पर निकलने के लिए। इसीलिए एक जगह पर जहां यह शोक का कारण बनता है ,वहां किसी दूसरे परिवार में जन्म के समय प्रसन्नता का भी कारण बन जाता है।

विवेक: और आप कहा करते हैं कि मोक्ष प्राप्ति तक बार-बार जन्म होंगे, और इस जन्म के बाद ही मोक्ष मिल गया, तो क्या इसे भी अवस्था परिवर्तन ही माना जाएगा?

आचार्य सत्यव्रत: मोक्ष मिलने के पूर्व तक तो आत्मा और सूक्ष्म शरीर नई-नई देह धारण कर अवस्था परिवर्तन करते रहेंगे और किसी एक जन्म में भी बाल्यावस्था ,वृद्धावस्था आदि अनेक अवस्थाएं आती रहेंगी लेकिन मोक्ष मिलने के बाद यह क्रम रुक जाता है। यह तो एक उपलब्धि है विवेक।

विवेक संतुष्ट हो गया। वह सोचने लगा कि मेरे प्रश्न चलते रहते हैं और गुरुदेव का उत्तर जैसे पहले से ही तैयार रहता हो।

डॉ.योगेंद्र कुमार पांडेय

deena

deena

बहुत बढ़िया प्रस्तुति शरीर और इसकी अवस्थाएं इसी तरह शाश्वत हैं जैसे यह सृष्टि और श्री भगवान

3 जून 2023

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रचनाएँ
भगवान श्रीकृष्ण उवाच
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परिचय श्रीमद्भागवतगीता भगवान श्री कृष्ण द्वारा वीर अर्जुन को महाभारत के युद्ध के पूर्व कुरुक्षेत्र के मैदान में दी गई वह अद्भुत दृष्टि है, जिसने जीवन पथ पर अर्जुन के मन में उठने वाले प्रश्नों और शंकाओं का स्थाई निवारण कर दिया।इस स्तंभ में कथा,संवाद,आलेख आदि विधियों से श्रीमद्भागवत गीता के उन्हीं श्लोकों व उनके उपलब्ध अर्थों को मार्गदर्शन व प्रेरणा के रूप में लिया गया है।भगवान श्री कृष्ण की प्रेरक वाणी किसी भी व्याख्या और विवेचना से परे स्वयंसिद्ध और स्वत: स्पष्ट है। श्री कृष्ण की वाणी केवल युद्ध क्षेत्र में ही नहीं बल्कि आज के समय में भी मनुष्यों के सम्मुख उठने वाले विभिन्न प्रश्नों, जिज्ञासाओं, दुविधाओं और भ्रमों का निराकरण करने में सक्षम है। इस धारावाहिक में लेखक द्वारा अपने आराध्य श्री कृष्ण से संबंधित द्वापरयुगीन घटनाओं व श्रीमद्भागवत गीता के श्लोकों व उनके उपलब्ध अर्थों व संबंधित दार्शनिक मतों की साहित्यिक प्रस्तुति है,जिसमें कहीं-कहीं लेखक की रचनात्मक कल्पना और भक्तिभाव भी भरे हैं।यह धारावाहिक -"भगवान श्री कृष्ण उवाच" भगवान श्री कृष्ण की प्रेरक वाणी से वर्तमान समय में जीवन सूत्रों को ग्रहण करने और सीखने का एक भावपूर्ण रचनात्मक लेखकीय प्रयत्नमात्र है,जो सुधि पाठकों के समक्ष प्रतिदिन प्रस्तुत करने का प्रयत्न है, कृपया पढ़िएगा अवश्य…….✍️🙏
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1:रोजमर्रा के छोटे-छोटे 'मोह' से करें किनारा

29 मई 2023
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गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है:-कुतस्त्वा कश्मलमिदं विषमे समुपस्थितम्।अनार्यजुष्टमस्वर्ग्यमकीर्तिकरमर्जुन।।2/2।।इसका अर्थ है,"हे अर्जुन! इस विषम समय पर तुम्

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2 : सफलता के लिए आवश्यक है मनोबल

31 मई 2023
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सफलता के लिए आवश्यक है मनोबल गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा है:-क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ नैतत्त्वय्युपपद्यते।क्षुद्रं हृदयदौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परंतप।(2/3)। अर्थ

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3 : आवश्यकता से अधिक सोच-विचार और चिंतन से नकारात्मकता के प्रवेश का डर

31 मई 2023
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3 : आवश्यकता से अधिक सोच-विचार और चिंतन से नकारात्मकता के प्रवेश का डरगीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा है:- अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे।गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिता

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4:आप और हम सब हर युग में रहेंगे

1 जून 2023
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आप और हम सब हर युग में रहेंगे भारतवर्ष का भावी इतिहास तय करने वाले निर्णायक युद्ध के पूर्व ही अर्जुन को चिंता से ग्रस्त देखकर भगवान श्री कृष्ण ने समझाया कि मनुष्य का स्वभाव चिंता करने वाला

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5 :शरीर की अवस्था में बदलाव स्वीकार करें

2 जून 2023
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अवस्था में बदलाव स्वीकार करें हजारों वर्ष पूर्व श्री कृष्ण के मुखारविंद से कही गई गीता आज भी उसी उत्साह के साथ पढ़ी और सुनी जाती है।आधुनिक संदर्भों में इसके और नए-नए उपयोगी

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6:सुख - दुख हैं अस्थाई, इनमें संतुलित रहें

3 जून 2023
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6 सुख और दुख हैं अस्थायी, इनमें संतुलित रहें श्री कृष्ण प्रेमालय में बने कृष्ण मंदिर में रोज शाम को सांध्य पूजा और आरती के बाद संक्षिप्त धर्म चर्चा होती है। आचार्य सत्यव्रत की ज्ञान चर्चा मे

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7 :शिकायत छोड़ें, सुख दुख समझें एक समान 

5 जून 2023
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7 शिकायत छोड़ें, सुख दुख समझें एक समान छात्रावास के बालक पृथ्वी को हर चीज से शिकायत रहती है।मानो उसने शिकायत करने के लिए ही जन्म लिया है।छात्रावास में उसे कोई भी असुविधा हुई तो शिकायत।

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8 :जीत सत्य की होती है

6 जून 2023
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जीत सत्य की होती हैपृथ्वी द्वारा उठाए गए प्रश्न और उसके समाधान को विवेक ने कल की ज्ञान चर्चा में ध्यानपूर्वक सुना था।वह विचार करने लगा कि दुनिया में जो भी घटित होता है, वह वही होता है जो उसे किस

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9: आत्मा में है जादुई शक्ति

7 जून 2023
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जीवन सूत्र 9 आत्मा में है जादुई शक्तिवास्तव में वह एक परम सत्ता ही अविनाशी तत्व है,जिसे लोग अपनी-अपनी उपासना पद्धति के अनुसार अलग-अलग नामों से जानते हैं।मनुष्य को प्राप्त जीवन, उसके प्राण का अस्तित्व,

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10: नाशवान शरीर को सुविधाभोगी ना बनाएं

8 जून 2023
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जीवन सूत्र 10 नाशवान शरीर की जरूरत से ज्यादा देखभाल न करें परमात्मा के एक अंश के रूप में शरीर में आत्मा तत्व की उपस्थिति इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हम इसके माध्यम से उस परमात्मा से जुड़ सकते हैं

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11. अंतरात्मा होता है सच का अनुगामी

9 जून 2023
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जीवन सूत्र 11: अंतरात्मा सच का अनुगामी होता हैभगवान श्री कृष्ण और अर्जुन में चर्चा जारी है।यह संसार नाशवान है और अगर कोई चीज नश्वर है तो वह है परमात्मा तत्व जो सभी मनुष्यों के शरीर में स्थित है।(श्लोक

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12 :आपके भीतर ही है चेतना,ऊर्जा और दिव्य प्रकाश

10 जून 2023
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12 :आपके भीतर ही है चेतना,ऊर्जा और दिव्य प्रकाश भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन में चर्चा जारी है। जो इस आत्मा को मारने वाला समझता है और जो इसको मरा समझता है वे दोनों ही नहीं जानत

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13: कभी अप्रिय निर्णय भी हो जाते हैं अपरिहार्य

12 जून 2023
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13: कभी अप्रिय निर्णय भी हो जाते हैं अपरिहार्य(भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन में चर्चा जारी है।)यह आत्मा कभी किसी काल में भी न जन्म लेता है और न मरता है और न यह एक बार होकर फिर गायब हो जाने वाला है।यह आत

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14.सुंदरता के बदले आंतरिक प्रसन्नता और सक्रियता है जरूरी

13 जून 2023
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14.सुंदरता के बदले आंतरिक प्रसन्नता और सक्रियता है जरूरीइस लेखमाला में मैंने गीता के श्लोकों व उनके अर्थों को केवल एक प्रेरणा के रूप में लिया है।यह न तो उनकी व्याख्या है न विवेचना क्योंकि मुझमें मेरे

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15. आपके पास ही है अक्षय शक्ति वाली आत्मा

14 जून 2023
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15.आपके पास ही है अक्षय शक्ति वाली आत्मा, आत्मशक्ति का लोकहित में हो विस्तार गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने जिज्ञासु अर्जुन से कहा है:- नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।

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16. एकाग्र होने और पूर्ण मनोयोग रखने पर प्राप्त होती है आत्मा से सूझ और शक्ति  

16 जून 2023
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16. एकाग्र होने और पूर्ण मनोयोग रखने पर प्राप्त होती है आत्मा से सूझ और शक्ति गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने आत्मा की शक्तियों की विवेचना करते हुए आगे कहा है:- अच्छेद्योऽयमदाह्योऽयमक

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17. इस जन्म की पूर्णता के बाद एक और नई यात्रा,कुछ भी स्थायी न मानें इस जग में  

17 जून 2023
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जीवन सूत्र 17. इस जन्म की पूर्णता के बाद एक और नई यात्रा,कुछ भी स्थायी न मानें इस जग में भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन की चर्चा जारी है। आत्मा की शक्तियां दिव्य हैं और यह हमारी देह में साक्षात

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18: भीतर की आवाज की अनदेखी न करें

18 जून 2023
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18:भीतर की आवाज की अनदेखी न करें इस लेखमाला में मैंने गीता के श्लोकों व उनके अर्थों को केवल एक प्रेरणा के रूप में लिया है।यह न तो उनकी व्याख्या है न विवेचना क्योंकि मुझमें मेरे आराध्य भगवान क

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19: सारे कार्य महत्वपूर्ण हैं, कोई छोटा या बड़ा नहीं

19 जून 2023
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19:कार्य सारे महत्वपूर्ण हैं, कोई छोटा या बड़ा नहीं गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है:- स्वधर्ममपि चावेक्ष्य न विकम्पितुमर्हसि। धर्म्याद्धि युद्धाछ्रेयोऽन्यत्क्षत्र

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20. वीरों के सामने ही आती हैं जीवन में चुनौतियां

20 जून 2023
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20:वीरों के सामने ही आती हैं जीवन की चुनौतियां गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है:- यदृच्छया चोपपन्नं स्वर्गद्वारमपावृतम्। सुखिनः क्षत्रियाः पार्थ लभन्ते युद्धमीदृशम

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21.चुनौतियों में जन सेवा धर्मयुद्ध के समान

22 जून 2023
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21.चुनौतियों में जन सेवा धर्मयुद्ध के समान गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है:- अथ चैत्त्वमिमं धर्म्यं संग्रामं न करिष्यसि। ततः स्वधर्मं कीर्तिं च हि

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22.अपयश से बचने साहसी चुनते हैं वीरता  

23 जून 2023
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22.अपयश से बचने साहसी चुनते हैं वीरता गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है:- अकीर्तिं चापि भूतानि कथयिष्यन्ति तेऽव्ययाम्। संभावितस्य चाकीर्तिर्मरणादतिरिच्यते।।2/34।।

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23 आत्म सम्मान की सीमा रेखा की रक्षा करें

24 जून 2023
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23 आत्म सम्मान की सीमा रेखा की रक्षा करें भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है: - अवाच्यवादांश्च बहून् वदिष्यन्ति तवाहिताः। निन्दन्तस्तव सामर्थ्यं ततो दुःखतरं नु किम्।(2/3

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24. आगे बढ़ें तो सारे विकल्प उपलब्ध होते रहेंगे

27 जून 2023
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24. आगे बढ़ें तो सारे विकल्प उपलब्ध होते रहेंगे अर्जुन श्रीकृष्ण की इस बात से पूरी तरह सहमत हैं कि अगर वे युद्ध से हटते हैं तो उन्हें "अर्जुन कायरता के कारण युद्ध से हट गया" ऐसे निंदा और अपमान

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