19 मई 2017
pandit g ki rachnayen lajwab h
2 जून 2017
Show show
26 मई 2017
Show show
26 मई 2017
बहुत खूब लिखा हैं जी आपने
21 मई 2017
छा गए गुरु
20 मई 2017
उत्साहवर्धन के लिए आपका आभार।
20 मई 2017
उत्साहवर्धन के लिए आपका आभार।
20 मई 2017
सरहदों ने गांव , शहर और वतन बाँट दिए -- पर मनों ने कभी सरहदों को नहीं माना ----------------- कैसे जुदा करेंगी उनके दिल की सरहदें , जो मानते नहीं है क्या होती हैं सरहदे -- बहुत सार्थक लिखा आपने नृपेंद्र जी - आपका ये आह्वान हर दिल समझ पाए यही दुआ है -- लिखते रहिये -- आपको बहुत -- शुभकामना
19 मई 2017
नृपेंद्र जी , आपका ये सन्देश पूरी दुनिया तक फैले. बेहद सुन्दर विचार और रचना ... लिखते रहे . हम सबको इंतज़ार रहता है
19 मई 2017