दोनों ने प्यार किया था, सीमाओं से पार प्यार।
दुनिया ही सिमट गई थी उनकी एक दूजे के प्यार में।
और प्यार को परवान भी चढ़ाया , समाज जाती के बंधन तोड़ कर।
शादी कर ली उन्होंने दिल का पवित्र बंधन जोड़ कर।
एक साल जैसे पंख लगाकर उड़ गया , दोनों खोये रहे प्रेम के स्वप्निल संसार में।
बस प्रेम ही छलकता रहा उनके जीवन व्यभार में।
किन्तु अब!!
प्रेमिका कहीं विलुप्त होती जा रही है।।।।
वह एक विषुद्ध पत्नी बनती जा रही है।
पत्नी के सारे अधिकार अब उसने ले लिए हैं निज हाथों में।
फिक्र होने लगी है गृहस्थी की ,अब समय नहीं गँवा सकती बस पीटें की बातों में।
अब वह पत्नी बन चुकी है , विशुद्ध भारतीय पत्नी ।
लोक लाज से भरी घर परिवार में रंगी, समाज की चिंता करती पत्नी।
पति वेचारा,,,,,,,,
उसकी प्रेमिका कहीं खो गई है, और वह ढूंढ रहा है उसे अपनी पत्नी में।
वो चाहता है वही प्रेम के क्षण ।
लेकिन अब पत्नी बनी प्रेमिका के पास समय कहाँ,कि वह उसके बालों में उँगलियाँ घुमाये।
या फिर देखे बैठ कर घण्टों उसकी आँखों में।
वह झुंझला रहा है उकता गया है उसकी अनदेखी की आदत से।
पत्नी वही बेचारी परेशां है,कि जो प्रेमी उसकी एक इच्छा पर कुर्वान करता था खुद को।
आप प्रेम की नज़रों से देखता तक नहीं उसको।
अब तो वह उसकी बातें तक नहीं सुनता ध्यान से।
क्या ही गया है ये रोज वह घंटों पूछती है पूजा में भगवन से।
दोनों क्षुब्द रोज़ खटपट ,,,
और नतीजा ,,,,
,,,,,,,"तलाक",,