शीतल तपन सी ज्वाला ,ये प्रेम अगन है।
तन -मन झुलस रहे हैं, फिर भी इसकी लगन है।
ये प्रेम है मनोहर, महकी हवा का झोंका।
कहते है लोग इसको, जगती नज़र का धोखा।
है प्रेम की ही शक्ति, संसार चल रहा है।
इसकी मधुर तपन में , हर प्रेमी जल रहा है।
जो प्रेम की अगन में, जल कर भसम हुए है।
संसार की नज़र में, वो मरकर अमर हुए हैं।
तू भी निडर हो गोरी, आ मुझसे प्रेम कर ले।
सूने सफर में दिल के, आ प्रेम रंग भर ले।
निज प्रेम का उजाला , आ मेरे मन में भर दे।
टूटी हुई साँसों में, सुमधुर सुगंध भर दे।
तेरे प्रेम की तपिश में, मैं जलना चाहता हूं।
तेरे मन में प्रेम रंग निज, मैं भरना चाहता हूं।
संसार याद रक्खे ,आ इतना प्यार कर ले।
है प्रेम की जो सीमा, उसको भी पार कर ले।
ये प्रेम ही है जीवन, शक्ति है ये ही मन की।
ईश्वर की है ये इच्छा , और कामना देवों की।
इस प्रेम में कटेगा ,जीवन सफर हमारा ।
अब और कुछ न इच्छा , बस साथ हो तुम्हारा।