सड़क किनारे के पेड़ों को काटने का काम चल रहा था।
ठेकेदार उस्मान अली बार बार मजदूरों को डाँट रहा था, कामचोरो ज़रा तेज़ी से हाथ चलाओ सुबह से बस 4 पेड़ ही गिरे हैं , कितना काम बाकी ही। अरे मज़दूरी तो तुम्हे खरी चाहिए और काम के वक़्त दम और बीड़ी के इलावा कुछ सूझता नही नमकहराम कहीं के।
तभी अचानक एक जोर का शोर मचा अर्रे रेरे दबा दबा बचाओ ओह्ह दब गया,,,, हैं हें सिर पे गिरा अरे दोड़ो निकालो,,,,,,,,,
अबे निकम्मो अब क्या हो गया , उस्मान किसी अनहोनी की आशंका से घबराया सा दौड़ आया।
मालिक कलीम पेड़ के नीचे दब गया पेड़ उसके सिर पे गिर गया।
क्या ,,,,, उस्मान के हलक से घबराहट की चीख निकल गई।
अरे उसे अस्पताल ले चलो वसीम गाड़ी निकाल जल्दी करो,,,,,।
एयर तुम लोग अपने काम पर लौटो कुछ बही हुत तनिक चोट ह अभी अस्पताल से पट्टी कर लेता हूँ परेशान मत हो तुम लोग ठीक हो जाएगा।
कलीम एक आम मज़दूर है, पेड़ों के कटान का काम करने बाला मज़दूर।
ठेकेदार उसे 200 रुपये रोज़ के हिसाब से मज़दूरी देता है और काम,,, काम का क्या है जी काम तो चाहता है सारा कटान एक दिन में ही हो जाये।
और सुरक्षा के लिए कोई साधन नही ना तो हेलमेट न ही सेफ्टी बेल्ट बस पेड़ काटो रस्सी से बांधो और खींच कर गिराओ।
अब पेड़ का क्या तनिक झोंक में इधर से उधर कहीं भी गिरता है हादसे होते हैं मज़दूर रोते हैं। कुछ काम छोड़ देते हैं तो क्या उनसे ज्यादा नए मिल जाते हैं।
कलीम को अस्पताल लाया गया , डॉक्टर ने बताता की उसकी खोपड़ी ओर गर्दन की हड्डी में माइनर फ्रेक्चर हुए हैं और सिर के अंदर गंभीर चोटें आई हैं ।इसकी हालात चिंता जनक है। बाकी हिश में आने पर ही बताया जाएगा।
कलीम के घर खबर पहुंच चुकी है उसकी वेबा मां तो सुनते ही रोने लगी। उसकी बीबी जो पास ही किसी के खेत मे मज़दूरी करने गए थी उसको पता लगा तो वेचारी दौड़ी आई ,अम्मी तुम बच्चों को संभालो मैं हस्पतताल जाती हूँ ,, बच्चे दो बेटी एक बेटा बड़ी बेटी छः साल की छोटी चार की ओर एक दुधमुहा सालभर का बेटा ।
लेकिन रुख़सार को इनका होश ही कहाँ वो तो पांव में पंख बंधे दौड़ी जा रही है अपने शौहर के पास अस्पताल।
कहा हैं क्या हुआ है उन्हें सिसकी भरती रुख़सार ठेकेदार को देखते ही फूट पड़ी।
कुछ नही हुआ जरा पेड़ गिर गया और उसकी जद में आ गया ठीक हो जाएगा घबरा मत।
है कहाँ ये मुझे मिलना है इनसे,,,, रुख़सार रोते रोते बोली,,।
icu में है किसी को मिलने की इजाज़त नही, अभी जांच चल रही है।
ओ मेरे खुद icu मालिक खेर करे, रुख़सार के हाथ दुआ में उठ गए।
आमीन ,,,, सुममामिन, साथ आये चन्द लोगो ने भी उसका साथ दिया।
तभी डॉक्टरसाब आते दिखे,,, कैसा है कलीम अब ??ठेकेदार ने पूछा,,।
अभी कुछ नही बता सकते अभी होश में नही आया है।
देखी 24 से 48 घण्टे अगर होश नही आया तो ,,,,
तो कया डागदर साब रुख़सार की रुलाई फूट पड़ी।।
अरे घबराओ नही ठीक हो जाएगा , कह कर डॉक्टर साब चले गए।ठेकेदार ने पैसे जमा करबाए और काम पर लौट गया ।
रह गए तो icu में बेहोश कलीम और बाहर उसके होश में आने का इंतज़ार करती रुख़सार।
आज तीसरे दिन डॉक्टर ने आकर बताया कि कलीम कोमा में जा चुका है।
अब कुछ कह नही सकते कि कब तक होश में आएगा।
आएगा भी ता नही।
रुख़सार की तो जैसे दुनिया ही लुट गई,,,
कमाने वाला भी कोई नही और तिम्मारदार भी कोई नही।
घर मे बुड्ढी सास और तीन मासूम बच्चे उनको भी पालन और शोहर का भी देखना।
आज तीन महीने हो गए कलीम अस्पताल में है जहां उसे खैराती बार्ड में रखा है , रुख़सार उसे सुबह शाम देख जाती है।
उसके सारे जमा किये पैसे गहने और मकान बिकने के रुपये कलीम के इलाज में खत्म हो चुके हैं।
ठेकेदार अब उसे पहचानता भी नही।
रुख़सार मज़दूरी करके जो थोड़ा बहुत कमाकर लाती उसमे से आधा घर खर्च और आधा अस्पताल में दे आती है।
अब तो कलीम की मां भी दुआओं में खुदा से कलीम की सलामत की जगह उसकी मौत मांगने लगी है,,,,,,,
शायद गरीबी मां की ममता को भी मज़बुर कर देती है,,,
(कहानी सच्ची घटना पर आधारित है, पिछले कुछ दिन से मैं भी बीमार हुन तो अस्पताल में इन सभी पात्रों से मिला हूँ, लेकिन कहानी रूपांतरण में नाम बदल दिए हैं।)