उत्तराखण्ड कुमायूं में एक छोटा सा गांव , कोई 30 परिवार आबादी यही कोई 200। गांव के लोग बहुत सीधे सरल और उन सब में सबसे ज्यादा सरल स्वभाव के मुखिया जी कुंदन सिंह नेगी जी।
गांव में अधिकतर लोग फलों की और सब्जियों की खेती करते या बकरी ,गाये और भैंस पालते दूध बेचते।
अल्मोड़ा और हल्द्वानी में उनके फल , सब्जी तथा दूध बिकते।
एक बार एक किसान की बकरी ने मटके में अपना मुह डाला कुछ खाने को लेकिन मटके का मुह छोटा होने के कारण बकरी का सर मटके में फंस गया। अब बकरी लगी चिल्लाने मेंहः मेंहः करने।
किसान ने देखा की बिक्री मटकी में फंसी है तो उसने भी उसे निकलने की पूरी कोशिश कर ली।
कुछ ही देर में सारा गांव किसान के घर पर जमा हो गया और सबने अपनी अपनी तरफ से मटकी निकलने की कोशिश करली।
तभी किसी ने कहा, भाई अपने गांव में सबसे समझदार हैं मुखिया जी ।
अब तो उन्हें ही बुलवाओ ।
ठीक ह मै जाता हूँ , कहकर एक आदमी दौड़ा मुखिया जी के घर।
मुखिया जी को इसने सारी बात बताई और कुछ ही देर में मुखिया जी आ गए किसान के घर।
मुखिया जी ने भी अपनी कोशिश करली लेकिन नतीजा सिफर।
आप अब इस बकरी की गर्दन काट दो, ये मटकी में कोई देवता है जिसे इस बकरी की वलि चाहिए, मुखिया जी ने अपना फैसला सुनाया।
बकरी की गर्दन काट दी गई।
लेकिन,बकरी का सर अभी भी नहीं निकला।
अब क्या करें मुखिया जी ? किसी ने पूछा।
अब लगता है देवता अपनी वलि लेकर गया फोड़ दो इस मटकी को।
मुखिया जी ने कहा, और मटकी तोड़ दी गई।
अब मुखिया जी और बाकि गांव बाले अपने अपने घर जाने लगे बकरी का प्रसाद पकने लगा।
तभी गांव की औरतें बातें करती सुनी गई।
वो तो मुखिया जी थे तो बकरी की गर्दन काटी ,मटकी फोड़ी न तो जाने क्या क्या होता।,,,,,,,