परिवर्तन प्रकृति का नियम। समाज में परिवर्तन की प्रक्रिया सदैव चलती रहती है। यह परिवर्तन कई चीजों पर निर्भर करता है एवं इसकी गति और दिशा हर समाज में अलग-अलग होती है। परिवर्तन प्राकृतिक और सांस्कृतिक
प्रिय सखी।कैसी हो।हम अच्छे हैं। बड़ी व्यस्तता के बाद समय निकाल पाते हैं तुम से मिलने का परिवर्तन के सिवा इस सृष्टि में स्थिर कुछ भी नहीं है।परिवर्तन एवं गति संसार का अनिवार्य नियम है। इस सृष्टि क
केवल परिवर्तन ही स्थायी हैपरिवर्तन के सिवा इस सृष्टि में स्थिर कुछ भी नहीं है।परिवर्तन एवं गति संसार का अनिवार्य नियम है। इस सृष्टि का यही शाश्वत नि
इस संसार में परिवर्तन हमेशा होता रहता है। जो आज है कल वह दूसरे रूप में दिखाई देता है। एक छोटा सा बीज एक पौधे का रूप लेता है फिर वह पौधा बड़ा होकर वृक्ष बन जाता है फिर वृक्ष में फूल ,फल आते हैं फिर उन
आज का विषय : केवल परिवर्तन ही स्थायी है एक कहानी के रूप में ..... एक नौ वर्षीय बालक काशी के मणिकर्णिका घाट की सीढ़ियों पर बैठा हुआ था | उसकी आँखों से निकले हुए आंसू जो आग की गरमाहट से सूख से गए थे
इस दुनिया में कोई भी चीज स्थायी नहीं है। प्रतिपल अस्तित्व में परिवर्तन हो रहा है। यहा कुछ भी टिका नही है ;न ही कोई टिक पायेगा।केवल परिवर्तन को स्थायी मान सकते हैं। पेड़ो के पत्तो को देखो पहले कोमल