केवल परिवर्तन ही स्थायी है
परिवर्तन के सिवा इस सृष्टि में स्थिर कुछ भी नहीं है।
परिवर्तन एवं गति संसार का अनिवार्य नियम है। इस सृष्टि का यही शाश्वत नियम भी है। इसी में गति और जीवन है। मनुष्य का परिवर्तन शीलता धारण किए रहने में कल्याण है।
जो स्थिर जैसे दिखाई पड़ते हैं उन में स्थिरता नहीं है। यह सब कुछ गतिशील है।
जड़ पदार्थ के अणु परमाणु के भीतर के कण सदा बन्द वृत्तों मे गतिमान रहते हैं।
शरीर के भीतर भी स्थिरता नही है।
यहाँ तक चंद्रमा, सूर्य, पृथ्वी भी गतिमान रहते हैं।
शरीर के भीतर भी स्थिरता नहीं है शरीर के भीतर संपूर्ण अवयव स्वसंचालित प्रक्रिया द्वारा अपने अपने कार्यों में निष्ठा पूर्वक जुटे रहते हैं।
गति ही जीवन है और विराम मृत्यु।
निश्चलता तो जड़ जैसे दिखने वाले पहाड़ और चट्टानों में भी नहीं होती। उनके भीतर भी परमाणु की हलचल जारी रहती है। यहाँ तक ग्रह, नक्षत्र, वृक्ष वनस्पति, नदी, नाले सब में गति समान रूप से गति विद्यमान है।
जीवन में परिवर्तन होते रहते हैं, कहते हैं यही प्राकृतिक नियम है।