इस संसार में परिवर्तन हमेशा होता रहता है। जो आज है कल वह दूसरे रूप में दिखाई देता है। एक छोटा सा बीज एक पौधे का रूप लेता है फिर वह पौधा बड़ा होकर वृक्ष बन जाता है फिर वृक्ष में फूल ,फल आते हैं फिर उन फलों से बीज गिरते हैं और नए पौधों का निर्माण होता है। मानव जीवन में भी निरंतर परिवर्तन होता रहता है। परिवर्तन जिंदगी का नियम है, आज जो छोटा बच्चा है ,कल वह तरुण होगा, फिर वह बूढ़ा होगा,। जीवन इसी प्रकार चलता रहता है हम चाहे भी तो परिवर्तन को नहीं रोक सकते। परिवर्तन ही जिंदगी है जिंदगी में अगर सुख सुख हो तो कोई आनंद नहीं। सुख दुख से जिंदगी बनती है। एकरसता जिंदगी में ऊब पैदा करती है। परिवर्तन इस जगत का नियम है, सूर्य सुबह निकलता है शाम को डूब जाता है। रात को चंद्रमा संसार को प्रकाशित करता है। इस प्रकृति में चाहे सजीव हो चाहे निर्जीव हो परिवर्तन अवश्यंभावी है। परिवर्तन
ही है जो हमें सदैव आगे बढ़ने अच्छा करने की प्रेरणा देता है। मनुष्य का विकास हमेशा में होता है,। परिवर्तन ना हो तो यह सृष्टि कैसे चलेगी ? पुराने फूल मुरझा जाते हैं नए फूल उगते है।
महात्मा बुद्ध ने कहा था सरिता की तरह यह जीवन ठहरता नहीं लगातार बहता जा रहा है। समय रुकता नहीं, काल अपनी गति से आगे बढ़ता चला जाता है। मनुष्य की जिंदगी इसी कालचक्र के अधीन है। जैसा कर्म करता है वैसा फल पाता है। परिवर्तन सृष्टि का नियम है, इसे ना तो कोई बदल सकता है ना बदल पाएगा। अतः जरूरत है हम जीवन को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखते हुए हमेशा आगे बढ़ते जाएं। जिंदगी की हर परेशानी व दुख में भी यह सोचे कि यह कल नहीं रहेगा। तब हम जीवन को अच्छी तरह जी पाएंगे। जिंदगी में परिवर्तन को स्वीकारना वह उसके अनुसार जीवन में सामंजस्य बनाना बहुत जरूरी है। हम हमेशा तरुण नहीं रह सकते। अतः आवश्यक है की आशावादी सकारात्मक दृष्टिकोण रखकर हम जिंदगी के परिवर्तनों को स्वीकार करें। तभी हम जिंदगी का वास्तविक आनंद उठा पाएंगे।
(© ज्योति)