तुमने कभी जानने की चाहत ही भी की
मेरे मन की मेरे साथ रहते हुए भी
मै खुश हूं तुमने मान लिया
कभी पूछी नहीं मेरी ख्वाहिश
मेरी खामोशी तुम्हे क्यों सदा हां लगी
मै नहीं जरूरी तुम्हारे लिए
नहीं मेरा अस्तित्व कोई खास
जितना मुझे लगा कि मै हूं तुम्हारे लिए खास
मैंने सोच लिया तुम्हारी जिंदगी में
मै हूं अहम
मै सच से अनजान
पाले थी अब तक वहम
मै मानने लगी थी इसे है खुशी
पर मानना और होना
दोनों ही है अलग बात
सच्चाई कोई जानने में बीत जाती है उम्र सारी
तब तक बन जाती ये बातें आदत हमारी