उलझी सी ये जिंदगी
उलझन से कोई तो निकाल ले
डगमगाती इन जीवन की राहों में
हो साथी जो थामे हाथ मुझे संभाल ले
आता ख्याल मन कोई सोचे मुझे भी
मै उसे समझूं और वो मुझे जान ले
हर राह साथ चले
साथी ऐसा कोई तलाश ले
मेरा भ्रम ही सही साथ निभाने का वादा तो कर
निभाने को चाहे वक्त चाहे बेशुमार ले
तेरे लिए जैसी मेरी चाहत
तुझे बना ली अपनी जिद्द
वैसे ही मुझे जिद्द तू भी अपनी मान ले
थाम कर हाथ मेरा सारी जिंदगी
मुझे संभाल ले