मन की गलियों से होकर
गुजरते है भाव
कविताओं के दायरे में ठहरते
अल्फाजों की कलियां बन
कविताओं की ज़मी पर खिलते
और महकते है
कभी खुशियों के अहसास
कभी दर्द ठहर जाए पास
सोचते है कई बार
मन की गलियों में सफ़र करते है
जाने कितने एहसास
कविताओं में नहीं होती कोई बात
छु जाए दिल को शब्दो में बसे हुए जज़्बात
जब महसूस होते भाव
तब बन जाती कविताएं खास