माता पिता के मन की एक बात
समझे हर संतान
जब हम उम्र के आखरी पड़ाव पर आए
बुढ़ापे के दौर में जीवन लाए
बच्चो तुम सब्र रखना
जरा हमे समझने की कोशिश करना
इस उम्र में अक्सर ऐसा होगा
बाते हम याद ना रख पाए
चीजें भी भूलने लग जाए
ना तुम गुस्सा करना ना होना नाराज़
अपना बचपन तुम करना याद
जब जिस्म ना दे साथ
चल पाने के ना हो हालत
हमारा सहारा तुम बन जाना
अपने पहले कदम जहन में लाना
जब बीमारी हमे सताए
दवा का खर्च जब बढ़ जाए
तुम याद कर लेना हमने की तुम्हारी
ख्वाहिशों पर अपनी जरूरतें भी कुर्बान
तुम्हारी खुशी रही सदा हमारा अरमान
हमे खुद ना दूर कर देना
जो ख्याल मन आए साथ हमारा ना भाए
याद करना कैसे हमसे दूर रह कर
तुम रोया करते थे दूर कभी तुम रह पाए
ये कुछ बाते अगर बच्चो की समझ आ जाए
तो हर माता पिता का बुढ़ापा संवर जाए