सुनो सनम
जब पहले पहल तुमसे हुई पहचान
जरा जरा से थे तुम अनजान
धीरे धीरे जुड़ने लगे तुमसे दिल के भाव
होने लगा तुमसे सनम लगाव
सोचा था तुम आए जीवन में मेरे
ताउम्र के लिए
ये मुहब्बत की सतरंगी दुनिया संग लिए
पर तुम्हारी बेवफ़ाई तो तेरे संग ही थी खड़ी
साथ ही लाए तुम लौट जाने की घड़ी
और मै ख़ामोश सी तेरे इंतजार में
लगाव और अलगाव के उलझन में
मेरी जिंदगी और तेरे यादों की लड़ियां
ऐसी उलझी सुलझाएं ना फिर सुलझी
एक सूनापन है तेरे बिना मेरा ये जीवन
पर तेरी यादों में से भरा भरा मन
हर कोई पूछे मुझसे मेरे दर्द की बात
कैसे कहे अधूरेपन के ये अहसास
इस दर्द की हो गई अब तो आदत
तेरी यादों संग तुमसे मिले दर्द से भी
हो गई अब चाहत