बेशक तुम रूठे रहो
चाहे हमसे बात ना करो
मेरे जज़्बात तुम तक पहुंचे
ऐसी कोई राह तो दो
चुप रह लेना तुम
कुछ भी चाहे ना बोलो
मेरे अल्फाजों के लिए
दिल की बंद राहे तो खोलो
रूठ कर जो दूर चले जाओगे
तुम ही कहो कैसे तुम्हे हम मनाए
जो यू सताओगे
कैसे दिल की बात हम बताए
प्रीत के बंधन की चाहे कच्ची है डोर
इश्क सच्चा तेरे सिवा दिल में आए ना कोई ओर
इस छोटी सी जिंदगी को
रूठने मे जाया ना करो
सुन दिल की अपने तुम
इश्क तुम्हे भी यू छुपाया ना करो