वो क्या खूब दिन थे
जब हम दोस्त हुआ करते थे
ना कोई शिकायत
ना गलतियां सुधारने की फ़िक्र
ना जुदाई का डर
बस रिश्ता था प्यार पर निर्भर
ना कोई उम्मीदें बस साथ निभाने
की रहती थी फिक्र
अब जब ये दिन है
दोनों प्यार में है
हर दिन बस बीते तकरार में है
एक छोटी सी बात पर
सौ सौ बार सफाई कर भी
सवाल जहन से मिटते नहीं
कैसी ये प्रीत है वाकई
एक जरा अहसास क्या बदले
रिश्ते के अंदाज़ भी बदले