रिश्ता बनता नहीं अपनी मर्जी से
ये तो रब की नेमत है
अपने कहा मिले आसानी से
ये तो बस रब की रहमत है
जो प्यार से सहेजों
गुलशन से खिलते है
निभा को प्यार से
अपने यू ही नहीं मिलते है
दिल से जो जीते जाए
वो सच्चे नाते है
क्यों फिर रास्ते हर कोई
आजमाते है
आजमाइश से नहीं कोई
अपना रह पाता है
जो दोगे प्यार तो
बदले प्यार मिल ही जाता है