कहते है आइना
सच से रूबरू
करता है
पर आइना भी
दिल में छिपे राज़
कहा देख पाता है
जो सामने हो वही
आइने में नज़र आता
छल कपट फरेब
के जो पहने नकाब
आइना भी कई बार
धोखा खा जाता
दोष आइने का भी
इसमें क्या है यार
छलावे की दुनिया
जब दिखावे का हो प्यार
चेहरे के पीछे कितने
चेहरे वाले है दिलदार
ऐसे लोगो का क्या कहे
दिल में जिनके नफरत
लबों सजी हो मुस्कान
जान बता कर हमे
एक दिन कर जाते
हमे बेजान
सामने से यू गुजर जाते
बनकर फिर अनजान