सबसे की सच्ची यारी थी
दिल से की सदा दिलदारी थी
ना जख्म दे अल्फ़ाज़ मेरे
समझी अपनी जम्मेदारी थी
पहचान बनाऊं सब से अलग
ख्वाहिश हमारी थी
भीड़ में थे सबसे अलग
ये जरा कलाकारी थी
पल भर नाते नहीं
जीवन भर की ये क्यारी
जुड़ी रहे सदा प्रीत की डोर
चाहत इतनी सी हमारी थी
दिल से जिया जब भी जिया
दिखावे की तो ना दुनिया हमारी थी