पेड़ो की बात चल रही हो और गर्मी के दिनों में आम का जिक्र न हो ऐसा मुमकिन ही नहीं।आम के वैसे तो बहुत प्रचलित नाम है,लंगड़ा,आम्रपाली,हिमसागर, दशहरी, अल्फांसो,तोतापरी....जितने प्रान्त उतनी किस्मे उतने नाम।पर आपके अपने बगीचे के आम का कुछ अनोखा ही नाम होगा ,बड़े बूढ़े उसे उसी नाम से पुकारते होंगे,जैसे हमारे बचपन में बम्बईया नाम था सबसे बड़े आम के पेड़ का जिस पे झूला पड़ता था और सारी पलटन दोपहर भर उसी पे मिलती थी,एक पेड़ फुश्लोनोइया था अब इन विचित्र नामो का उद्भव कँहा से हुआ ये तो पता नहीं पर ऐसे अनेक नामो के पेड़ जुड़े है,आम के बगीचे सें।आम के बहुत से व्यंजन है ,बहुत से पेय और तरह तरह के अचार बनाये जाते है।आम के पेड़ की लकड़ी का उपयोग हवन पूजन में होता है,पत्तियों से वंदनवार बनाया जाता है।आम से अमावट बनाती थी नानी जिसपे छोटे छोटे हाथ बन जाते थे दोपहर में और उतना अमावट पेट में चला जाता था छोटे भाइयो के ।