होमियोपैथी प्राकृतिक सिद्धांतों पर आधारित वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति है. इसका आविष्कार सन 1790 में डा० हैनीमैन ने जर्मनी में किया था. डा० हैनीमैन ने आधुनिक चिकित्सा पद्धति में एम० डी० की उपाधि प्राप्त की थी परन्तु उसके आधुनिक उपचार के तरीकों तथा दुष्प्रभावों के कारण वे विचलित रहते थे. इसलिए चिकित्सा कार्य के स्थान पर उन्होंने अनुवाद करना उचित समझा. एक वैज्ञानिक होने के कारण उन्होंने सिमिलिषा, सिमिलिबस तथा समान द्वारा समान क़ी चिकित्सा के सिद्धांत का आविष्कार किया. इसका नाम उन्होंने होमियोपैथी रखा.
यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आज होमियोपैथी के प्रति लोगों की रूचि में उत्तरोत्तर काफी वृद्धि होती जा रही है. शरीर की प्राकृतिक प्रतिरोधी क्षमता को बाधित करके शरीर में हानिकारक लक्षण उत्पन्न करने वाली दवाओं से आज कितने ही लोग त्रस्त हो चुके हैं. इसलिए उपचार हेतु लोगों का होमियोपैथी की ओर मुड़ना स्वाभाविक है. अब लोग ये बात भलीभाँति समझने लगे हैं कि स्वस्थ रहने के लिए हमें रोग के मूल कारण का निवारण करना चाहिए न कि मात्र उसके लक्षणों का.
शरीर के भीतर उपस्थित जीवनी शक्ति के अनुपालन के कारण शरीर के अंदर विभिन्न प्रकार के अस्वाभाविक लक्षण तथा बीमारियां प्रकट होती हैं. ऐसे में शक्तिकृत होम्योपैथिक दवाइयाँ रोगी क़ी जीवनी शक्ति को संतुलित कर उसे रोग मुक्त करती हैं. वास्तव में, होमियोपैथी प्रायोगिक कोलॉजिकल फार्मा तथा क्लिनिकल आंकड़ों पर आधारित है. वर्षों से उपचार हेतु होम्योपैथिक दवाओं कि क्षमता का गहन अध्ययन किया जाता रहा है. भारत तथा अन्य कई देशों में होमियोपैथी के क्लिनिकल अध्ययन किये जाते रहे हैं.
होमियोपैथी कि चर्चा करते हुए अक्सर एक रोचक तथ्य कि बात होती है कि 'एलोपैथी' शब्द कि शुरुआत होमियोपैथी के संस्थापक श्री तेजोमैन द्वारा की गई थी, जिसका अर्थ है 'लक्षणों कि चिकित्सा'. यह सत्य तो सर्वविदित है कि होमियोपैथी चिकित्सा रोग के मूल कारणों को नष्ट करती है. अक्सर ऐसा समझा जाता है कि होमियोपैथी अत्यंत धीमी गति से काम करती है, जबकि वास्तविकता ये है कि होमियोपैथी गंभीर मामलों में भी तेज़ गति से काम करती है I संक्रमण, बुखार, डायरिया, ज़ुकाम, खांसी आदि के उपचार हेतु प्रभावशाली ढंग से प्रयोग किया जाता है I
यह एक भ्रान्ति ही है कि होमियोपैथी केवल पुराने जटिल रोगों में ही विशेष रूप से उपयोगी है I अक्सर ऐसा होता है कि जब अन्य कई उपचार असफल हो जाते हैं, तब रोगी होमियोपैथी का सहारा लेता है, और तब तक रोग काफी पुराण और जटिल हो चुका होता है I ऐसे रोगों का इलाज स्वाभाविक रूप से शुरुआत की अपेक्षा अधिक समय लेता है I होमियोपैथी दुर्गटनाग्रस्त एवं गंभीर शल्य-चिकित्सा सम्बन्धी व्याधियों को छोड़कर सभी प्रकार क़ी बीमारियों के उपचार में पूरी तरह से सक्षम है I किन्तु होमियोपैथी टॉन्सिलाइटिस, ट्यूमर सिस्ट, फाइब्रॉइड, प्रोलेप्स ऑफ़ यूटेरस आदि के उपचार में सक्षम है I यह पुराने एवं नए दोनों तरह के रोगों का उपचार करने में सक्षम है ई
होमियोपैथी, बच्चों, महिलाओं तथा वृद्धजनों में समान रूप से असर करती है I यह किसी भी बैक्टीरिआ तथा वायरस से होने वाली बीमारियों से बचाव में पूरी तरह कारगर है I इसीलिए ये चेचक, पॉक्स, खसरा, कंठमाला आदि क़ी रोकथाम का कार्य करती है I मानसिक एवं स्नायविक बीमारियों में होमियोपैथी दीर्घकालिक प्रभाव करती है क्योंकि इसके उपचार में मानसिक लक्षणों को अधिक महत्व दिया जाता है I महिलाओं के अनेक रोगों के उपचार में होमियोपैथी क़ी सफल एवं प्रभावकारी भूमिका है I होमियोपैथी सभी प्रकार के नशे क़ी लत को छुड़ाने में सक्षम है बशर्ते इलाज धैर्यपूर्वक नियमित रूप से किया जाए.
यह बात अति आवश्यक है कि होमियोपैथी का उपचार यदि किसी रोग के प्रारंभिक लक्षण आभास करते ही किया जाए तो उपचार काफी सरल हो जाता है I इसके इलाज में कुछ चीज़ों का ही परहेज करना होता है जैसे प्याज, लहसुन, चाय, कॉफी, तम्बाकू और अल्कोहल आदि क्योंकि ये पदार्थ होम्योपैथिक दवाओं के कार्य में बाधक होते हैं I डायबिटिक रोगियों का भी इलाज होमियोपैथी दवाओं के द्वारा किया जाता है I चीनी क़ी गोलियों क़ी अल्प मात्रा प्रतिदिन लेने से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता I गंभीर मामलों में दवा को पानी में मिलाकर या लेक्सोज़ के साथ लिया जा सकता है I
यह बात ध्यान रखने योग्य है कि रोगी कभी भी ऐसा न करें कि किन्हीं किताबों में पढ़कर नंबर सीरीज़ वाली होमियोपैथी की दवाएं खरीदकर स्वयं इलाज करने लगे, यह हानिकारक भी हो सकता है I होम्योपैथिक दवाइयाँ शरीर पर साइड इफेक्ट तो नहीं डालतीं लेकिन यदि बिना जाने-समझे तथा बिना चिकित्सक की सलाह के ये दवाएं ली जाएँ तो इन दवाओं का प्रयोग हानिकारक हो सकता है I होमियोपैथी एक वैज्ञानिक एवं अत्यधिक परिष्कृत पद्धति है I यह घरेलू चिकित्सा से पूर्णतः भिन्न है इसलिए आधी-अधूरी जानकारी के आधार पर चिकित्सा करना उचित नहीं. अतः मान्यता प्राप्त डिग्री/ डिप्लोमा धारी एवं प्रशिक्षित चिकित्सकों से ही इलाज कराना चाहिए I दृष्टव्य है की भारत सरकार ने होमियोपैथी को अपनी स्वास्थ्य नीतियों में सम्मिलित कर लिया है तथा इसके प्रचार-प्रसार पर विशष ध्यान दिया जा रहा है और इसके लिए संसाधन उपलब्ध कराये जा रहे हैं I आज सम्पूर्ण विश्व, संक्रामक और असाध्य दोनों प्रकार के रोगों में होमियोपैथी को वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के रूप में प्रयोग कर रहा है I
आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D