मानसिक तनाव तमाम तरह के डर उत्पन्न करता है I अक्सर हम ऐसी चीज़ों से डरते हैं जिनके होने की आशंका बहुत कम होती है I हमारे अधिकांश डर का कोई आधार नहीं होता I विज्ञान मानता है कि मनुष्य जन्म से ही मात्र दो चीज़ों से डरता है जिनमें एक है आवाज़ और दूसरा ऊँचाई I मनोविज्ञान के बहुत से शोध बताते हैं कि लोग जिन बातों के कारण तनावग्रस्त होते हैं उनमें से 99 प्रतिशत कभी घटित ही नहीं होते I
हमारे तनाव का कारण हमारी बहुत सी नकारात्मक यादें भी होती हैं I अक्सर हम बीते हुए समय की असफलताओं का अनावश्यक बोझ वर्तमान में भी ढोते फिरते हैं I ख़ुद को आज में तल्लीन करने की आदत डालनी होगी क्योंकि बीते समय पर हमारा कोई वश नहीं लेकिन वर्तमान हमारा भविष्य बदल सकता है I
अच्छा हो यदि हम जीवन को सरल बनाते जाएँ I बहुत अधिक सोच-विचार और हर समय बस सोचते रहना हमें किसी भी नतीजे पर नहीं पहुँचने देता I जीवन में बहुत-अधिक गुणा-भाग अच्छे परिणाम नहीं देता क्योंकि जीवन कोई गणित नहीं बल्कि एक कला है I जीवन में रंग भरने और हँसने के बहाने ढूंढना बहुत ज़रूरी है I यही रंग वास्तव में जीवन को गतिशील बनाते हैं
व्यावसायिक जगत में एक कहावत प्रचलित है— ‘सफलता का एक सरल नियम है, अपना सर्वश्रेष्ठ करें और लोगों को वह पसंद भी आना चाहिए I हमारा जो भी रंग, रूप, क़द, काठी है हमारे लिए वही सबसे अच्छा है और उसी के साथ हमें ख़ुशी से जीना और अच्छा से अच्छा करना है I अपनी अच्छाइयों को तलाशने और तराशने का समय भी पर्याप्त है I इसलिए, हम निश्चिन्त होकर अपना काम बखूबी करते जाएँ I जिस दिन लोगों को हमारा काम पसंद आ जाएगा, हम सफल हो जाएँगे I
दूसरों से ज़्यादा अपेक्षाएं तकलीफ ही देती हैं I आप किसी के लिए अच्छा से अच्छा क्या करते हैं, ये आपकी मर्ज़ी और आपकी आदत है I लेकिन उसके प्रत्युत्तर लोग भी आपके लिए उतना ही अच्छा करें, ये ज़रूरी तो नहीं I हो सकता है आपसे अच्छा व्यवहार करने की लोगों की मर्ज़ी न हो I हो सकता है ये उनकी आदत न हो I ‘दूसरों से कम अपेक्षा, यानि कम तनाव’ I
निस्वार्थ सेवा तनाव को कम करने का सर्वोत्तम उपाय है I सेवा में स्वयं को शक्ति प्राप्त होती है I इस हेतु हमें त्याग भी करना होता है और त्याग के बाद सिर्फ आनन्द रह जाता है, फिर कुछ और के लिए स्थान ही नहीं रहता I
आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D