क्रिएटीविटी और मसखरी का कॉम्बिनेशन जबरदस्त माना जाता है। इन दोनों का जन्म इंसान के पैदा होने के साथ ही गया था और कैमरे के अविष्कार ने इसी क्रिएटीविटी और मसखरेपन को एक पंख दिए। पुराने जमाने में कैमरे विरले ही दिखते थे। इनकी तस्वीरें डेवलेप कराना भी आसान नहीं होता था लेकिन फिर भी उस जमाने में ऐसी फनी और दिलचस्प तस्वीरें खींची जाती थी। अगर आज के जमाने की तरह, उस वक्त भी सोशल मीडिया और मुफ्त का इंटरनेट होता तो ये तस्वीरें धमाल मचा देती।
नीचे वाले भाईयों को घुड़सवार पर कॉन्फिडेंस था
इन आंटी ने बहुत सारे बच्चों को डराया था
भाई साहब इसे कुत्ता समझ कर ले आए या टशन मार रहे हैं
उस जमाने में भी थीम बेस्ड पार्टियां हुआ करती थी
भईया पंख लगवा लेते पीछे तो हेलीकॉप्टर से बड़ी हो जाती तुम्हारी साइकिल
बीड़ी-बीड़ी भाई भाई
बंदर होटल के अंदर...
ऐसे भी कारनामे किए जाते थे
दोनों बुला रहे हैं लेकिन आ कोई नहीं रहा
बीड़ी-बीड़ी भाई भाई
फैशन करने की बीमारी बहुत पुरानी है, यहां देखकर समझें
इसे कहते हैं दोस्ती
जब मुंह ही नहीं दिख रहा तो सूट बूट पहनकर इतना स्टाइल क्यों मारना
इतने बचे हैं कि इसी से झड़ सकते हैं
ये है अद्भुत मिलन
काम तो आप खतरनाक कर रहे हैं
जब सही मौकों पर हाथ में था कैमरा
ये कौन सी स्टाइल होती है भाई
ये रहा कंगारु
मम्मी ने कहा कि दोनों साथ साथ जाना और सड़क के किनारे-किनारे चलना
ये तो आज भी किया जा सकता है
आइस मसाज
Source: Firkee