‘कोई मुझे गोद ले ले, मैं अकेला नहीं मरना चाहता।’ चीन में हान जिचेंग नाम के 85 साल के एक बुजुर्ग ने अपने आसपास पड़े कागज के पन्नों पर यह लिखा। उन्होंने अपने अब तक के जीवन में चीनी गृह युद्ध, जापानी आक्रमण और सांस्कृतिक क्रांति जैसा दौर देखा है। लेकिन अब अकेले जीते-जीते थक चुके हैं।
80 के दशक से अकेले रह रहे जिचेंग अपने सभी कामों को स्वयं ही करते हैं। इसमें दुकान चलाने, खाना बनाने से लेकर स्वयं की देखभाल करने सहित सभी काम शामिल हैं। उन्होंने स्वयं के बारे में लिखा, ‘मुझे कोई बीमारी नहीं है, मुझे हर महीने 950 डॉलर पेंशन मिलती है, मैं टियांजिन में एक वै ज्ञान िक शोध संस्थान से सेवानिवृत्त हुआ था।’
‘मुझे उम्मीद है कि कोई एक दयालु व्यक्ति या परिवार मुझे गोद लेगा और बुढ़ापे में मेरा ध्यान रखेगा। मरने के बाद मेरा अंतिम संस्कार भी कोई कर दे।
जिचेंग अपनी इन सभी बातों को एक सफेद कागज पर लिखकर अपने घर के पास एक बस स्टैंड के सामने पोस्टर चिपका दिया है। हान अपने जीवन से निराश हो चुके हैं, उनकी पत्नी की मौत हो चुकी है। उनके बेटे ने अन्हें अकेला छोड़ दिया है। लेकिन वह चाहते है कि जिस दिन उनका शरीर काम करना बंद कर दे, तो कोई उसकी देखरेख करने वाला हो।
ऑस्ट्रेलियाई बुजुर्ग वैज्ञानिक चाहते हैं इच्छा मृत्यु
उधर ऑस्ट्रेलिया के 104 वर्षीय बुजुर्ग डेविड गुडल इच्छा मृत्यु को गले लगाना चाहते हैं। उनका मानना है कि उनकी जिंदगी के अब कोई मायने नहीं बचे हैं। उनका कहना है कि ‘मुझे उस उम्र तक पहुंचने में बहुत खेद है, मैं खुश नहीं हूं, मैं मरना चाहता हूं।’
गुडल ऑस्ट्रेलिया के सबसे पुराने वैज्ञानिकों में से एक हैं। वह स्विटजरलैंड जाना चाहते हैं क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में इच्छा मृत्यु अवैध है। उनका कहना है कि एक बुजुर्ग की अंतिम इच्छा को पूरा करना चाहिए और मैं इच्छा मृत्यु चाहता हूं।
चीन में 85 साल के बुजुर्ग की गुहार- कोई मुझे गोद ले ले, मैं अकेला नहीं मरना चाहता !!