1. पथ
एक विशाल सा पहाड़ है खड़ा।
अनेक पथ को खा गया
ये दानव बड़ा..
कभी किसी पुराण काल में।
एक देवता से ये टकरा गया।
शाप से अभिशक्त हुवा
ये दानव बड़ा..
फिर मिला ऊशाप भी
आयेगा एक कीटक सा मानव
जब छा जाएगा घोर
कलियुग का कोहरा
भाई रहेगा ना भाई का
ना पत्नी रहेगी
पति की..
सब जायेंगे भटक अपनी राह।
हार कर क्षीण
हो जाएँगे जीवन से
उच् - नीच का अवडंबर मचेगा।
उसी वक्त वो आयेगा
तुम्हारे हर एक पत्थर को
चिर.. के
पथ दिखायेगा दुनिया को
वो मांझी..
फिर हुवा वही।
राह बनी फिर एक नई..
कभी रहता था जहाँ एक विशाल सा पहाड़ खड़ा
अब वही है एक मार्ग बड़ा...