बैंक यानी विश्वास ~
अर्थव्यवस्था किसी भी देश का ईंधन होती हैं । ईंधन इस रूप में कि वो ये तय करती हैं कि अमुक राष्ट्र अपने उन पहियों पर कितना सरपट दौड़ेगा जो , वो पहिए जो राजनीति, अंतर्राष्ट्रीय कद,समाज, संस्कृति आदि की दशा और दिशा निर्धारित करते हैं । बैंकिंग प्रणाली इस आर्थिक व्यवस्था में वह अनिवार्य तत्व है जो इसे तेज और संपुष्ट करती है । दरअसल बैंकिंग एक विश्वास का नाम है , जहां आप अपने संसाधनों को संरक्षित कर इसे भविष्य में तब प्राप्त करने की उम्मीद रखते हैं , जब आपको इसकी सबसे ज्यादा जरूरत हो । बीमा, शेयर, और अन्य निवेशों के मार्फत आप अपने आर्थिक क्रेडिट को बैंक को सुपुर्द कर निश्चिंत हो लेते हैं । पिछले दिनों अमेरिका में इस विश्वास को आघात लगाने वाला समाचार आया कि अमेरिका के प्रमुख बैंक एक के बाद एक बंद कर दिए गए , इनमे सिलिकॉन वैली और सिग्नेचर बैंक प्रमुख थे । इन अमेरिकी बैंको की विफलता ने अर्थव्यवस्था के संसार में ऐसा क्या तूफान मचा दिया है जिससे ना केवल अमेरिका बल्कि सारा विश्व संशय में हैं । इन सवालों के जवाब आसान रूप में समझने का एक प्रयास करते हैं ।
बैंकिंग वास्तव में ग्राहकों का एक भरोसा है । वो भरोसा यह है कि बैंक उनकी सुपुर्द की गई संपत्ति को संरक्षित कर उसे आने वाले समय के अनुपात में मूल्यवर्धित भी करता रहेगा । अमेरिका की हालिया स्थिति की वजह वहां के केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में तेजी से बढ़ोतरी थी । हालांकि यह बढ़ोतरी महंगाई दर को काबू में करने के लिए की गई थी । बावजूद इसके ब्याज बढ़ोतरी के इस परिवर्तन ने उथल पुथल मचा दी । लोग कुछ अफवाहों और सोशल मीडिया के सृजित खबरों पर यकीन करके अपने पैसों को निकालने सिलिकॉन वैली बैंक पर टूट पड़े , और इतने सारे लोगो की धन निकासी ने बैंक को शक्तिहीन बना दिया , डिजिटल बैंकिंग ने भी इस प्रक्रिया को अनिवार्य बना डाला ,चंद घंटों में ही 10 अरब डालर से अधिक की रकम ग्राहकों ने निकाल ली ,और फलस्वरूप बैंक वास्तव में डूब गया ।
बैंकिंग व्यवस्था में कुछ लोगों का क्रेडिट कुछेक अन्य लोगो के उद्यमों को निवेश उपलब्ध कराता है । इस तरह बैंक वास्तव में जमा किया गया सारा धन स्वयं ना रखकर उसे अन्य लोगो को और उद्यमों के द्वारा निवेशित और गतिशील रखते हैं , ऐसे में यदि जमाकर्ता किसी कारणवश या अफवाह वश एक साथ अपना धन वापस लेने लगे तो बैंक वास्तव में ही टूट जायेंगे । क्योंकि बैंक की वास्तविक शक्ति यह जमा किया गया क्रेडिट ही होता है । सिलिकॉन वैली के बाद सिग्नेचर बैंक का डूबना अमेरिकी बैंकिंग व्यवस्था में अविश्वास का कारण बनता जा रहा है , 2008 की आर्थिक मंदी के बाद यह अमेरिका के लिए सबसे बड़ी आर्थिक विफलता मानी जा रही है ।
बेसल सम्मेलन के द्वारा पहले भी विभिन्न बैंकों के लिए एक नियामक निर्धारित किया गया था । जिसका अनुपालन राष्ट्रों के द्वारा अपने केंद्रीय बैंको के माध्यम से किया जाता रहा हैं। आवश्यकता इसके और भी प्रभावी रूप को अहर्निश बनाए रखने की है ।
वैश्वीकरण ,अन्तर्राष्ट्रीयकरण के इस दौर में किसी भी देश , क्षेत्र की घटना एकांगी नहीं रह सकती । वो अपना प्रभाव अन्य पर भी छोड़ ही जाती है , और जब देश का नाम अमेरिका हो तो हर परिघटना एक बड़ी खबर और एक बड़ा अलर्ट होती है । भारत पर भी इसका प्रभाव न्युनाधिक रूप से पड़ना लाजिमी हैं । बैंकिंग सिस्टम को और दुरुस्त कर इससे सबक लेने की आवश्यकता है जिससे ऐसे अवांछित विघटनो से बचा जा सकें ।
आखिर बैंक ही वह विश्वास है जो हम सबको हमारे सुनहरे,सुखद भविष्य का आश्वासन देता है--ऋतेश आर्यन