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कल तक थे.. जो उनके सपने..
आज वो तो....अपने हैं सपने...
बस उतर जाऊं... पूरे के पूरे..
उनके सपने पर.. बस हम कैसे भी खड़े..
ईश्वर शक्ति दें.. निभा जाऊं.. कुछ भी कर के..
वो माँ बाप के सुंदर.. सुंदर सपने जैसे भी करके..
उनके सपने सा ... ना हीं देखें कोई सपना..
हमारे लिये.. कोई भी..सुन्दर, सुहाना..
हमें भी डूब कर हैं यें.. उनके सपना निभाना..
इसके लिये हमें भी हैं सारे अच्छे कार्य कर जाने..
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