🌸🌿उसे कितना..गुमान था.. 🌸🌿
कितना गुमान था उसे अपनी खूबसूरती पर
कितना तो..गुमान था उसकों अपनी हीं..ख़ूबसूरती पर..
वो मेरी माँ से मिली.. वो एक दिन मेरी माँ से मिली..
और.... फिर.. वह पानी पानी हो गई..
नजरें उठाई मुस्काई..और चल दी..
और तीसरे दिन ख़ुद क़ी सुंदरता क़ी दुहाई देना भूल गई..
दूसरे दिन से.. क्यों नहीं.. क्योंकि वो उस दिन अबसाद में जो थी..😇
उस दिन से और ज्यादा सँवरने क़ी प्रक्रिया..उसनें छोड़ दी..
और सादगी.. में वह रह मेरी माँ क़ी नकल करने लगी..
और कुछ समय लगेगा.... शायद..
उसे मेरी माँ सी दिखने में.. शायद..🌺🤗🌺🤗🌺🤗🤗🌺🤗🌺🤗🌺🤗🌺🤗🌺🤗🌺🤗🌺🤗🌺🤗