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अर्धनारीश्वर

रामधारी सिंह दिनकर

8 अध्याय
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25 अप्रैल 2022 को पूर्ण की गई
निःशुल्क

अर्धनारीश्वर के निबंधकार रामधारी सिंह दिनकर है। अर्धनारीश्वर शंकर और पार्वती का कल्पित रूप है , जिसका आधा अंग पुरुष और आधा अंग नारी का होता है | निबंधकार कहते है कि नारी-पुरुष गुणों की दृष्टि से सामान है| एक का गुण दूसरे का दोष नहीं है। प्रत्येक नर के अंदर नारी का गुण होता है , परंतु पुरुष स्त्रैण कहे जाने की डर से दबाये रखता है|अगर नारों में वे विशेषताएँ आ जाये जैसे दया, ममता, सेवा आदि तो उनका व्यक्तित्व धूमिल नहीं बनता बल्कि और अधिक निखर जाता है। इसी तरह प्रत्येक स्त्री में पुरुष का तत्व होता है  

ardhnarishwar

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पुस्तक के भाग

1

आमुख

22 फरवरी 2022
1
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 नहीं चाहने पर भी, लेख मैं थोड़े–बहुत लिखता ही रहता हूँ, यद्यपि कविताओं की तरह सभी लेखों पर मेरी ममता नहीं रहती। तब भी जो लेख मुझे या उन लोगों को पसन्द आ जाते हैं, जिनके साथ मैं साहित्य पर विचार–विनिमय

2

और चाहिए किरण जगत को और चाहिए चिनगारी

22 फरवरी 2022
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प्रकाश का निर्माण कर पंथी! क्योंकि इससे तुझे तेरी राह मिलेगी और इसके सहारे दूसरे लोग भी अपना मार्ग निर्धारित करेंगे। पिता अपनी प्रगति के लिए प्रकाश ढूँढ़ता है, किन्तु वह उसे अपनी संतान को भी दे जाता है

3

हड्डी का चिराग

22 फरवरी 2022
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कार्तिक–अमावस्या की सरणी हिन्दू–इतिहास में आलोक की लड़ी बनकर चमकती आई है। प्रत्येक वर्ष की एक अँधेरी रात को भारत की मिट्टी अपने अंग में असंख्य दीपों के गहने पहनकर तारों से भरे आकाश से होड़ लेती है और आद

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कविता का भविष्य

22 फरवरी 2022
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हिन्दी के तीन महाकवियों की प्रतिभा से चमत्कृत होकर कोई एक चैथा कवि बोल उठा : सूर सूर, तुलसी ससी, उडुगन केसवदास। अब के कवि खद्योत सम, जहँ तहँ करहिं प्रकास॥ जब मनुष्य कोई बड़ा आश्चर्य देखता है, तब वह

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मन्दिर और राजभवन

22 फरवरी 2022
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मन्दिर है उपासना का स्थल, जहाँ मनुष्य अपने–आपको ढूँढ़ता है। राजभवन है दंड–विधान का आवास, जहाँ मनुष्यों को शान्त रहने का पाठ पढ़ाया जाता है। मन्दिर कहता है–आओ, हमारी गोद में आते समय आवरण की क्या आवश्यक

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दीपक की लौ अपनी ओर

22 फरवरी 2022
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अँधेरे में सभी लोग भटक रहे हैं। किसी को भी नहीं सूझता कि गलती किसकी है। माँझी कहता है–पतवार ठीक हैय गलती लग्गीवाले ने की होगी। और लग्गीवाला कहता है–मैं भी ठीक हूँ और नाव भी ठीक है। सारी फसाद इस नदी न

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महाकाव्य की वेला

22 फरवरी 2022
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कविगुरु रवीन्द्रनाथ ने लगभग दो हजार गीत और असंख्य कविताएँ लिखीं, किन्तु महाकाव्य उन्होंने एक भी नहीं लिखा। महाकाव्य तभी लिखा जाता है जबकि युग की अनेक विचारधाराएँ वेग से बहती हुई किसी महासमुद्र में मिल

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नई कविता के उत्थान की रेखाएँ

22 फरवरी 2022
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एक मित्र ने पूछा–हिन्दी कविता इतनी पतली क्यों हो गई है? मैंने उत्तर दिया–विशिष्ट होते–होते। स्थूल और मोटी चीजों को जब हम विशिष्टीकरण की खराद पर चढ़ाते हैं, तब वे कुछ–न–कुछ पतली हो ही जाती हैंय क्योंकि

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