नेपोलियन बोनापार्टे ने कहा था कि उनकी जिंदगी में असंभव शब्द नहीं है। असंभव से संभव तब बन पाता है जब आदमी जिंदगी में किसी धुन का पक्का होता है। और लगातार हार प्राप्त होने के बाद भी प्रयास करता रहता है। जिंदगी की बाधाओं से लड़कर अकेले चल कर ही आदमी असंभव को संभव बना पाता है। कुछ भी असंभव नहीं होता मेहनत, लगन
समर्पण दृढ इच्छा शक्ति से ही असंभव संभव बन जाता है।
दुनिया में ऐसे अनेक उदाहरण बिखरे पड़े हैं जिसमें लोगों ने अपनी मेहनत के बल पर असंभव को संभव बनाया। महामूर्ख कालीदास जो जिस डाल पर बैठे थे उसी डाल को काट रहे थेऔर बाद में तपस्या और मेहनत से महाकवि कालिदास बने और अभिज्ञान शाकुंतलम् की रचना की और भी ना जाने कितनी किताबें उन्होंने लिखी। इस उदाहरण को देखकर यह लगता है कि कुछ भी असंभव नहीं है। हनुमान जी ने समुद्र पार करके लंका में प्रवेश किया। जब तक वे अपनी शक्ति को नहीं पहचानते थे तब तक काम कठिन था। मानव से देवत्व का सफर वही कर पाते हैं जो धुन के मतवाले होते हैं। असंभव को संभव वही कर पाते हैं जो लगातार मेहनत करते रहते हैं और हार नहीं मानते। अतः जरूरत है मनुष्य भाग्य का रोना ना रोए कर्म करता रहे तो निश्चित रूप से वह अपने भाग्य का निर्माता स्वयं है। मनुष्य अपने जीवन में अपने मस्तिष्क का 5% भाग ही उपयोग में लाता है । यदि वह अपने मस्तिष्क का सही से प्रयोग करें तो वह असंभव लगने वाले कार्यों को भी संभव कर सकता है।