प्रेम वह एहसास है जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।
सच्चा प्रेम वही है जहां कोई शर्त नहीं,। यदि शर्त है तो वह तो मोलभाव है प्रेम कैसा। मीरा का प्रेम देखिए कृष्ण को खुद आना पड़ा। जब जब विपदाये आई मीरा की रक्षा करने कृष्ण
आये। अलौकिक प्रेम में कोई शर्त नहीं होती है। लौकिक प्रेम
शर्त रखता है, इच्छाएं रखता है, अपेक्षाएं रखता है। इसीलिए
जो आज प्रिय है कल उसका मु़ह नहीं देखना चाहते। बहुत जल्दी प्रेम बहुत जल्दी ब्रेकअप। यह प्रेम नहीं आकर्षण है।
प्रेम तो कोई इच्छा ही नहीं रखता, समर्पण करता है। अपने देश के प्रति समर्पण, अपने ईश के प्रति समर्पण, विश्वास, त्याग, हर परिस्थिति में श्रद्धा यह वह प्रेम का एहसास है जो आत्मा से आत्मा को मिलाता है। मां का निष्काम प्रेम, बच्चों के जीवन की प्रति समर्पण ,प्रेम का वह रूप है जो मानव जीवन में अद्भुत है इसकी तुलना नहीं की जा सकती। माता पिता का बच्चों के प्रति प्रेम क्या कोई शर्त होती है उसमें? मां बाप हर संभव कोशिश करते हैं अपने बच्चे को आगे बढ़ाने की उसके विकास की उसके सर्वांगीण विकास की। प्रेम तो वह आलौकिक एहसास है जो मानव जीवन मैं करुणा, दया, त्याग, समर्पण
तथा विश्वास, श्रद्धा जैसे मानवीय गुण भरता है। जो मानव को देवत्व के स्तर पर ले जाता है। प्रेम आकर्षण नहीं, प्रेम तो देना जानता है, प्रेम प्रतिदान नहीं मांगता। प्रेम का मोल प्रेम करने वाला ही समझ सकता है। प्रेम अनमोल रतन है। जो मनुष्य को सही अर्थों में मानव बनाता है, मानवता सिखाता है। बुद्ध की करुणा नहीं मानव का उद्धार कर दिया। विश्व को नई ऊंचाइयों दी। प्रेम ईश्वर का उपहार है। मनुष्य का मनुष्य के प्रति प्रेम विश्व में स्वर्ग का वातावरण सृजित करता है। सभी धर्म मानव को मानव से प्रेम करना सिखाते हैं।
(© ज्योति)