चर्चा का विषय है जालौर हत्याकांड। राजस्थान में सरस्वती विद्या मंदिर के एक दलित छात्र को शिक्षक छैल सिंह द्वारा इसलिए पीटा गया क्योंकि उसने पानी पीने के मटके को हाथ लगाया था। जमाना कितना आगे निकल गया है लेकिन पुरानी सोच संकीर्णता आज भी हम पर हावी है। वह भी विद्यालय में जहां बच्चे की सोच बदली जाती है, जहां बच्चों को बार-बार यह समझाया जाता है कि लिंग भेद ,जातिभेद हमारे अंदर नहीं होना चाहिए। जहां हम बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उन्हें बार-बार समाज में फैली कुरीतियों व अंधविश्वास से दूर रहने की बात करते हैं। जहां बच्चों को सर्व धर्म समभाव की शिक्षा दी जाती है। ऐसे में प्रश्न उठता है की हम आगे बढ़े हैं डिजिटल और कंप्यूटर युग में जी रहे हैं लेकिन हमारी सोच अभी भी इतनी संकीर्ण क्यों है? क्यों हमारी शिक्षा सिर्फ डिग्री तो दे रही है लेकिन हमारी सोच को व्यापक नहीं बना पा रही है। प्रश्न बहुत हैं उत्तर हमें स्वयं को खोजने पड़ेंगे। विद्यालय में क्या हुआ? यह तो छानबीन के बाद ही पता चलेगा। लेकिन वास्तव में यह घटना शर्मनाक है,। ऐसी घटनाएं बंद होनी चाहिए।
शिक्षा के मंदिर में आजकल बाल केंद्रित शिक्षा में बच्चो को पि टना गलत है। फिर भी यह ध्यान भी रखना चाहिए कि जो भी पक्ष दोषी हो, उस पर कार्रवाई हो। तथा राजनीतिकरण ना हो,।