2019 में जामिया मैं हिंसा हुई थी। वहां नागरिकता संशोधन विधेयक के बारे में बहस । इसी को लेकर वहां देश विरोधी वक्तव्य दिए गए ,हिंसा हुई,झडपे हुई। देश का यह विश्वविद्यालय चर्चा में रहा। राजनीतिकरण हुआ, 2 दिन पहले कोर्ट ने 11 लोगों को बरी कर दिया जो इस मामले में नामजद थे। क्या हालत है आज विश्वविद्यालयों की। पढ़ाई से ज्यादा राजनीति हावी है। नेता बनने की धुन में हमारे छात्र देश विरोधी गतिविधियों में भी लिप्त हैं। इन सब को समर्थन मिलता है राजनेताओं का जो नव युवाओं के समर्थन हासिल करने के लिए उन्हें विश्वविद्यालय में चुनाव लड़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और नेता बनने के सुनहरे ख्वाब दिखाते हैं। यही नेता बनने के कारण हमारे छात्र पढ़ाई से दूर हो रहे हैं और राजनीति में लिप्त हो रहे हैं। वे कभी पाकिस्तान का समर्थन करते हैं तो कभी कुछ और। चर्चा में बनने के लिए अपना कैरियर दांव पर लगा देते हैं। जरूरत है विश्व विद्यालयों में शैक्षिक माहौल बने वाह हमारे नव युवा भी यह ध्यान रखें कि वह जोश में होश ना
खोए। वे राजनीतिक दलों के मोहरे ना बने । वे जागरूक हो
व देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त ना हो। तभी देश का भी भला है और छात्र हितों का भी।