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राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस

2 दिसम्बर 2022

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वर्ष 1984 में भोपाल में हुई विश्व की सबसे भीषण औद्योगिक त्रासदी के दौरान हज़ारोँ की संख्या में जान गवाँने वाले मृतकों की याद में प्रतिवर्ष 2 दिसंबर को 'राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस' (National Pollution Control Day) मनाया जाता है। भविष्य में फिर ऐसी दुर्घटना घटित हो इसके लिए लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से इस दिवस को मनाया जाता है। इस भीषण त्रासदी की मैं भी गवाह रही हूँ।  मुझे आज भी याद है जब  २-३ दिसंबर की आधी रात को   आँखों में अचानक जलन और खांसी से हमारे पूरे परिवार का बुरा हाल होने लगा। तब जब पिताजी ने बाहर आकर देखा तो बाहर अफरा-तफरी मची थी। घर के सामने श्यामला हिल्स से लोग गाड़ी-मोटर और पैदल इधर-उधर भाग रहे थे। वे लोग चिल्ला-चिल्लाकर कह रहे थे कि गैस रिस गई है-भागो-भागो। हम भी बाहर निकले तो हमारे सामने एक जीप में लोग ठूस-ठूस कर भरे थे, लेकिन जैसे-तैसे जान बचे इसलिए पिताजी ने हमें जबरदस्ती उसमें ठुसा दिया और वे अपनी सायकिल लेकर हमारे पीछे-पीछे चल दिए, जहाँ ५-६ किलोमीटर दूर नीलबड़ पहुंचकर राहत मिली। वहां जब लोगों से सुना कि सब ठीक हो गया है तो सुबह 5 बजे वापस घर लौटे ही थे कि फिर से अफवाह फैली कि फिर से गैस रिस गई है और हमें फिर भागना पड़ा। दिन में जब घोषणा हुई कि सब ठीक है तो हम सभी आँखों में जलन और श्वास की तकलीफ के चलते सीधे हमीदिया हॉस्पिटल पहुंचे, जहाँ रास्ते में सैकड़ों मवेशी इधर-उधर मरे पड़े दिखे। हर तरफ भ्रांतियों और आतंक से घोर सन्नाटा पसरा था। लोग ट्रकों से भर-भर कर इलाज के लिए आ रहे थे। कई लोग उल्टियाँ तो कई आँखों को मलते लम्बी-लम्बी सांस लेकर सिसकियाँ भर रहे थे। कई बेहोश पड़े थे जिन्हें ग्लूकोस और इंजेक्शन दिया जा रहा था। अस्पताल के वार्डों के फर्श पर शवों के बीच इंजेक्शन के फूटे एम्म्युल और आँखों में लगाने की मलहम की खाली ट्यूबें बिखरी पड़ी थी। मरने वालों में सबसे ज्यादा बच्चे थे, जिन्हें देखकर हर किसी के आँखों से आंसूं रुके नहीं रुकते थे। इस त्रासदी में लोगों का असहनीय दुःख देख मैं अपना दुःख भूल कराह उठी-

मैं ही नहीं अकेली कहाँ इस जग में दुखियारी

आँख खुली जब दिखी दुःख में डूबी दुनिया सारी

एक तरफ कांटे दिखे पर दूजी तरफ दिखी फुलवारी

समझ गयी मैं गहन तम पर उगता सूरज है भारी

गहन तम में नहीं इस दिल को कुछ सूझ पाया है

पर परदुःख में मैंने अक्सर दुःख अपना छुपाया है

इस विभाीषिका से एक साथ कई गंभीर सवाल सामने आये। जिसमें सबसे बड़ा सवाल यह उठा कि आखिर ऐसे जोखिम पैदा करने वाले कारखाने को घनी आबादी के बीच लगाने की अनुमति क्यों और कैसे मिल गई, जहाँ विषाक्त गैसों का भंडारण और उत्पादों में खतरनाक रसायन प्रयोग होता था। यह मध्यप्रदेश ही नहीं देश का सबसे विशाल कारखाना था, जिसमें हुई दुर्घटना ने सुरक्षा व्यवस्था और राजनीतिक सांठ-गांठ की पोल खोलकर रख दी। यह विश्व में एक अलग तरह का पहला हादसा था। यद्यपि ३ दिसंबर की इस विभीषिका से पहले भी संयंत्र में कई बार गैस रिसाव की घटनायें घट चुकी थी, जिसमें कम से कम दस श्रमिक मारे गए थे, जिसे साधारण घटना मानकर इस दिशा में कोई गंभीर कदम नहीं उठाये गए।    २ -३ दिसम्बर 1984 की दुर्घटना मिथाइल आइसोसाइनेट नामक जहरीली गैस से हुई, जिसे बनाने के लिए फोस जेन नामक गैस का प्रयोग होता है। फोसजेन गैस भयावह रूप से विषाक्त और खतरनाक होता है। माना जाता है कि हिटलर ने यहूदियों के सामूहिक संहार के लिए इसी फोस्जेन नमक गैस के चेम्बर बनाये थे।    ऐसे खतरनाक एवं प्राणघातक उत्पादनों के साथ संभावित खतरों का पूर्व आकलन और समुचित उपाय किए जाते हैं।  यदि मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अगर समय रहते सुरक्षा उपाय के लिए कोई ठोस कदम उठाए होते तो इस विभीषिका से बचा जा सकता था। पूर्व की दुर्घटनाओं के बाद कारखाने के प्रबंधन ने  उचित कदम नहीं उठाए और शासन प्रशासन भी कर्त्तव्यपालन से विमुख व उदासीन बना रहा। ३८ बरस बीत जाने पर भी दुर्घटना स्थल पर पड़े रासायनिक कचरे को ठिकाने न लगा पाना और गैस पीडि़तों को समुचित न्याय न मिल पाना आज भी यह शासन प्रशासन की कई कमजोरियों को उजागर करता है।

वर्तमान समय में बढ़ती जनसँख्या के कारण निरंतर मानव निर्मित औद्योगिक गतिविधियों, रसायनों के प्रयोग, खनिज तेल का उपयोग एवं प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन के कारण अनेक प्रकार के प्रदूषण जैसे- जल-प्रदूषण, वायु-प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि उत्पन्न हो रहे हैं जो सम्पूर्ण जीव जगत के लिए खतरे की घंटी हैं।  इस दिशा में नागरिक पर्यावरण प्रदूषण के बारे में जागरूक बने रहे इसी उद्देश्य से आज राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस के माध्यम से सरकार एवं विभिन गैर-सरकारी संस्थानों के द्वारा विभिन कार्यक्रमों का आयोजन करता है, ताकि पर्यावरण प्रदूषण के कारकों, इसके नियंत्रण एवं निस्तारण में लोगों की सहभागिता के माध्यम से पर्यावरण प्रदूषण पर नियंत्रण हेतु प्रभावी कार्ययोजना को लागू किया जा सके। इसके साथ ही जन-सहभागिता द्वारा विभिन्न  नियमों एवं कानूनों के बारे में भी लोगों को जागरूक किया जाता है।

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रचनाएँ
देश-दुनिया का चिंतन (दैनन्दिनी दिसंबर 2022)
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इस माह दिसम्बर के अंक में प्रस्तुत हैं- राजनीति में भाई-भतीजावाद, देश में व्याप्त प्रदूषण, बेरोजगारी, भारत के युवा और उनमें बढ़ता तनाव, दैनिक जीवन में प्रौद्यौगिकी का प्रभाव, अपने नेता चुनने का तरीका, भारत में बुलेट ट्रेन का विकास, आज की दुनिया में ट्विटर का महत्व, लोकायुक्त कानून, संस्कृति का महत्व, बिजली बिल भुगतान ठगी का तरीका, वैश्विक आतंकवाद आदि विषय पर देश-दुनिया का चिंतन।
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भाई-भतीजावाद

1 दिसम्बर 2022
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बचपन में देश-विदेश के राजा-महाराजाओं की कहानियां सुनने-पढ़ने में बड़ा आनंद मिलता था। जो राजा-महाराजा अपनी प्रजा की खुशहाली और उनके सुख-दुःख की चिंता-फ़िक्र कर राजकाज करते थे, उनकी कहानी पढ़कर मन बड़ा हल्का

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राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस

2 दिसम्बर 2022
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बेरोजगारी

4 दिसम्बर 2022
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हमारे देश में अनेक विकट समस्याओं में बेरोजगारी भी एक प्रमुख समस्या है।  आज बेरोजगारी का यह आलम है कि जब एक युवा जीवन को नए सिरे से प्रारम्भ करने के लिए हाथ में इंजीनियर, डॉक्टर, वैज्ञानिक, व्याख्याता,

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भारत का युवा

5 दिसम्बर 2022
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कठोपनिषद में युवा उसे बताया गया है, जिनकी ऊर्जा अक्षुण्ण, यश अक्षय, जीवन अंतहीन, प्राकर्म अपराजेय, आस्था अडिग और संकल्प अटल होता है। युवा किसी भी देश के प्राण तत्व, उसकी गति, स्फूर्ति, चेतना और ओज होत

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युवाओं में बढ़ता तनाव

6 दिसम्बर 2022
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स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भले ही हमारे देश ने हर क्षेत्र में प्रगति की हैं, लेकिन नौकरियाँ देने के मामले में आज भी हम बहुत पिछड़े हुए हैं।  युवा वर्ग जब दिन-रात एक करके बड़ी-बड़ी डिग्री हासिल कर उन्

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दैनिक जीवन में प्रौद्यौगिकी का प्रभाव

8 दिसम्बर 2022
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आज की दुनिया इंटरनेट के मजबूत स्तम्भ पर टिकी हुई है, जिसका आधार प्रौद्यौगिकी है। इसके बिना जीवन के किसी भी क्षेत्र में प्रगति करना असंभव है। प्रतिदिन होने वाले नवीन वैज्ञानिक आविष्कार विश्व भर में नई

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चुनाव : अपने नेता चुनने का एक तरीका

10 दिसम्बर 2022
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लोकतंत्र में जनता अपने द्वारा अपने लिए शासकों का चयन करता हैं।  लोकतंत्र में चुनाव द्वारा जनता अपने नेता को चुनता है। अमेरिका के विख्यात राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने लोकतंत्र को, "जनता के लिए, जनता द्व

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भारत में बुलेट ट्रेन का विकास

14 दिसम्बर 2022
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हमारे भोपाल में तो अभी मेट्रो का काम चल रहा है। शायद १-२ वर्ष बाद कुछ स्थानोँ पर मेट्रो दौड़ने लगेगी। मेट्रो में सफर का मौका दिल्ली जाकर ही मिलता है, क्योकिं वहां आना-जाना लगा रहता है। दिल्ली में अधिका

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आज की दुनिया में ट्विटर का महत्व

15 दिसम्बर 2022
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आज का युग सूचना क्रांति का युग है। इस सूचना क्रांति के आधुनिक दौर में सोशल मीडिया अहम भूमिका के रूप में हम सबके सामने है। एक ओर जहाँ यह   आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक प्रगति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभ

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महाराष्ट्र में लोकायुक्त कानून

19 दिसम्बर 2022
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लम्बे समय से प्रसिद्द समाजसेवी अन्ना हजारे द्वारा महाराष्ट्र सरकार से लोकायुक्त कानून लाने की मांग की जा रही थी। इस कानून को लेकर वर्ष 2016 में भी अन्ना हजारे ने रालेगण सिद्धि में अनशन किया था। तत्समय

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संस्कृति का महत्व

20 दिसम्बर 2022
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समाज और संस्कृति मानवता के दो आधार स्तम्भ होते हैं। मनुष्य सामाजिक प्राणी है, उसके बिना उसका न केवल विकास अपितु जीवन भी मुश्किल होता है। संस्कृति को मानवीय आदर्शों, मूल्यों, स्थापनाओं एवं मान्यताओं का

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बेंगलुरु में बिजली बिल भुगतान घोटाला

23 दिसम्बर 2022
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मुम्बई और दिल्ली के बाद बेंगलुरु भारत का तीसरा सबसे बड़ा शहर और मुंबई, दिल्ली, कोलकाता एवं कानपुर के बाद पाँचवा सबसे बड़ा महानगरीय क्षेत्र है। यह देश की अग्रणी सूचना प्रौद्योगिकी (IT) के लिए विख्यात ह

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जिंदगी को क्या कहूं

28 दिसम्बर 2022
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जिंदगी को क्या कहूँ? अतीत का खंडहर या फिर भविष्य की कल्पना! भविष्य की आशा में अटका आदमी उठता, बैठता, काम करता बड़ी हड़बड़ी में भागता रहता कुछ निश्चित नहीं किसलिए? जिंदगी में कितने झूठ बना लेता

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बढ़ते आतंकवाद का विश्लेषण

29 दिसम्बर 2022
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आज भी विश्व का शायद ही कोई ऐसा देश होगा जहाँ किसी न किसी रूप में आतंकवाद देखने को नहीं मिलेगा। यदपि आज विश्व के विकसित देशों के साथ ही विकासशील देशों की एकजुटता के कारण वे आतंकवाद के पर कतरने में बहुत

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लाठी मारने से पानी जुदा नहीं होता है

30 दिसम्बर 2022
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लाठी मारने से पानी जुदा नहीं होता है। हर पंछी को अपना घोंसला सुन्दर लगता है।। शुभ कार्य की शुरुआत अपने घर से की जाती है। पहले अपने फिर दूसरे घर की आग बुझाई जाती है।। दूसरे के भरे बटुए से अपनी

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