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बेरोजगारी

4 दिसम्बर 2022

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हमारे देश में अनेक विकट समस्याओं में बेरोजगारी भी एक प्रमुख समस्या है।  आज बेरोजगारी का यह आलम है कि जब एक युवा जीवन को नए सिरे से प्रारम्भ करने के लिए हाथ में इंजीनियर, डॉक्टर, वैज्ञानिक, व्याख्याता, अधिवक्ता आदि डिग्री लेकर रोजगार की तलाश में निकलता है तो उसके हाथ बहुधा निराशा ही हाथ लगती है। उसके सामने एक तरफ बेरोजगारी अपना मुंह फैलाई खड़ी रहती है तो दूसरी और भ्रष्टाचार मुंह चिढ़ाता है। ऐसे में उसे अपनी लम्बी चौड़ी डिग्रियां व्यर्थ लगती है। बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण निरंतर बढ़ती जनसँख्या है।  इस जनसँख्या वृद्धि में सबसे बड़ा हाथ कम पढ़े-लिखे उन निम्न वर्ग के युवाओं का होता है जो दो जून की रोटी की जुगाड़ भी नहीं कर पाते, झुग्गी-झोपड़ियों में बड़ी कठिनाई में सिर छुपाते हैं, फिर भी उनके संतान वृद्धि का क्रम रुकता नहीं है। जबकि शिक्षित युवा वर्ग जनसँख्या नियंत्रण में विश्वास रखते हैं और अधिक संतान के परहेज करते हैं।  बेरोजगारी के लिए सबसे बड़ा दोष सरकार की गलत नियोजन नीतियोँ भी हैं। स्कूल में अध्यापक, कार्यालय में बाबू और अधिकारी, न्यायालयों में जज, पुलिस में सिपाही, फौज में सैनिक, तकनीकी संस्थानों में तकनीशियन व वैज्ञानिक आदि के उनके पद रिक्त होने के बाद भी सरकारी अधिकारियों की कुम्भकर्णी नींद, प्रमाद आलस्य अथवा लाल फीताशाही के कारण समय पर न भरे जाना है, बल्कि इसके स्थान पर काम चलाऊ रूप से संविदा और आउटसोर्स माध्यम से अस्थायी रूप से न्यूनतम वेतन भर्तियाँ करना हैं, जिससे अर्द्ध बेरोजगारी बढ़ने से युवा वर्ग में असंतोष, अकुलाहट, क्षोभ और विद्रोह उत्पन्न व्याप्त है।

बेरोजगारी के कई कारण हैं जैसे- जनसँख्या का निरंतर बढ़ना लेकिन उस अनुपात में रोजगार मुहैया न हो पाना।  इसके अलावा हमारी दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली भी इसके लिए जिम्मेदार है। शिक्षा व्यावसायिक न होने से १०वीं, १२वीं करने के बाद एक बहुत बड़े युवा वर्ग का बाबूगिरी तक सीमित होना। देश की ओधौगिक नीति गलत होने से भी बेरोजगारी बढ़ी हैं। बड़े-बड़े उद्योग खुलने की कारण छोटे और माध्यम उद्योगों का काम-काज ठप्प हुआ है।  सरकार की  ओर से घरेलू उद्योग-धंधों को उचित प्रोत्साहन न मिलने से बंद हो जाते हैं।  मशीनीकरण एवं यंत्रों के अत्यधिक प्रयोग होने से बेरोजगारी बढ़ी है।  इसके अलावा कृषि पर दबाव बढ़ने, परंपरागत हस्तशिल्प में कमी,दोषपूर्ण नियोजन, स्वरोजगार की इच्छा का अभाव भी बेरोजगार के लिए जिम्मेदार है। 

देश में बेरोजगारी दूर करने के लिए परिवार नियोजन पर बल देना होगा इसके लिए धर्म-विशेष के नाम पर प्रजनन में छूट को प्रतिबंधित करना होगा।  शिक्षा का व्यवसायीकरण करना होगा, ताकि स्वरोजगार के प्रति युवा वर्ग प्रेरित हो सके। नई तकनीकी द्वारा विकास के साथ नए कौशल विकसित कर युवाओं को  बाबूगिरी के मोह से मुक्त करना होगा। छोटे-छोटे स्तर पर लघु-उद्योगो को खोलकर उनके उत्पादन निश्चित करने होंगे, ताकि वे बड़े उद्योगों के चंगुल से दूर हो सके।  शिक्षित युवा वर्ग को शारीरिक श्रम का महत्व समझाना होगा, ताकि उनके मन में श्रम के प्रति रूचि उत्पन्न हो सके।  इसके साथ ही रोजगारपरक ग्रामीण विकास नियोजन तथा कृषि आधारित उद्योग-धंधों का विकास करना होगा।   

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रचनाएँ
देश-दुनिया का चिंतन (दैनन्दिनी दिसंबर 2022)
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इस माह दिसम्बर के अंक में प्रस्तुत हैं- राजनीति में भाई-भतीजावाद, देश में व्याप्त प्रदूषण, बेरोजगारी, भारत के युवा और उनमें बढ़ता तनाव, दैनिक जीवन में प्रौद्यौगिकी का प्रभाव, अपने नेता चुनने का तरीका, भारत में बुलेट ट्रेन का विकास, आज की दुनिया में ट्विटर का महत्व, लोकायुक्त कानून, संस्कृति का महत्व, बिजली बिल भुगतान ठगी का तरीका, वैश्विक आतंकवाद आदि विषय पर देश-दुनिया का चिंतन।
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भाई-भतीजावाद

1 दिसम्बर 2022
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बचपन में देश-विदेश के राजा-महाराजाओं की कहानियां सुनने-पढ़ने में बड़ा आनंद मिलता था। जो राजा-महाराजा अपनी प्रजा की खुशहाली और उनके सुख-दुःख की चिंता-फ़िक्र कर राजकाज करते थे, उनकी कहानी पढ़कर मन बड़ा हल्का

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राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस

2 दिसम्बर 2022
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वर्ष 1984 में भोपाल में हुई विश्व की सबसे भीषण औद्योगिक त्रासदी के दौरान हज़ारोँ की संख्या में जान गवाँने वाले मृतकों की याद में प्रतिवर्ष 2 दिसंबर को 'राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस' (National Pollut

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बेरोजगारी

4 दिसम्बर 2022
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हमारे देश में अनेक विकट समस्याओं में बेरोजगारी भी एक प्रमुख समस्या है।  आज बेरोजगारी का यह आलम है कि जब एक युवा जीवन को नए सिरे से प्रारम्भ करने के लिए हाथ में इंजीनियर, डॉक्टर, वैज्ञानिक, व्याख्याता,

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भारत का युवा

5 दिसम्बर 2022
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कठोपनिषद में युवा उसे बताया गया है, जिनकी ऊर्जा अक्षुण्ण, यश अक्षय, जीवन अंतहीन, प्राकर्म अपराजेय, आस्था अडिग और संकल्प अटल होता है। युवा किसी भी देश के प्राण तत्व, उसकी गति, स्फूर्ति, चेतना और ओज होत

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युवाओं में बढ़ता तनाव

6 दिसम्बर 2022
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स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भले ही हमारे देश ने हर क्षेत्र में प्रगति की हैं, लेकिन नौकरियाँ देने के मामले में आज भी हम बहुत पिछड़े हुए हैं।  युवा वर्ग जब दिन-रात एक करके बड़ी-बड़ी डिग्री हासिल कर उन्

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दैनिक जीवन में प्रौद्यौगिकी का प्रभाव

8 दिसम्बर 2022
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आज की दुनिया इंटरनेट के मजबूत स्तम्भ पर टिकी हुई है, जिसका आधार प्रौद्यौगिकी है। इसके बिना जीवन के किसी भी क्षेत्र में प्रगति करना असंभव है। प्रतिदिन होने वाले नवीन वैज्ञानिक आविष्कार विश्व भर में नई

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चुनाव : अपने नेता चुनने का एक तरीका

10 दिसम्बर 2022
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लोकतंत्र में जनता अपने द्वारा अपने लिए शासकों का चयन करता हैं।  लोकतंत्र में चुनाव द्वारा जनता अपने नेता को चुनता है। अमेरिका के विख्यात राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने लोकतंत्र को, "जनता के लिए, जनता द्व

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भारत में बुलेट ट्रेन का विकास

14 दिसम्बर 2022
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हमारे भोपाल में तो अभी मेट्रो का काम चल रहा है। शायद १-२ वर्ष बाद कुछ स्थानोँ पर मेट्रो दौड़ने लगेगी। मेट्रो में सफर का मौका दिल्ली जाकर ही मिलता है, क्योकिं वहां आना-जाना लगा रहता है। दिल्ली में अधिका

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आज की दुनिया में ट्विटर का महत्व

15 दिसम्बर 2022
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आज का युग सूचना क्रांति का युग है। इस सूचना क्रांति के आधुनिक दौर में सोशल मीडिया अहम भूमिका के रूप में हम सबके सामने है। एक ओर जहाँ यह   आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक प्रगति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभ

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महाराष्ट्र में लोकायुक्त कानून

19 दिसम्बर 2022
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लम्बे समय से प्रसिद्द समाजसेवी अन्ना हजारे द्वारा महाराष्ट्र सरकार से लोकायुक्त कानून लाने की मांग की जा रही थी। इस कानून को लेकर वर्ष 2016 में भी अन्ना हजारे ने रालेगण सिद्धि में अनशन किया था। तत्समय

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संस्कृति का महत्व

20 दिसम्बर 2022
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समाज और संस्कृति मानवता के दो आधार स्तम्भ होते हैं। मनुष्य सामाजिक प्राणी है, उसके बिना उसका न केवल विकास अपितु जीवन भी मुश्किल होता है। संस्कृति को मानवीय आदर्शों, मूल्यों, स्थापनाओं एवं मान्यताओं का

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बेंगलुरु में बिजली बिल भुगतान घोटाला

23 दिसम्बर 2022
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मुम्बई और दिल्ली के बाद बेंगलुरु भारत का तीसरा सबसे बड़ा शहर और मुंबई, दिल्ली, कोलकाता एवं कानपुर के बाद पाँचवा सबसे बड़ा महानगरीय क्षेत्र है। यह देश की अग्रणी सूचना प्रौद्योगिकी (IT) के लिए विख्यात ह

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जिंदगी को क्या कहूं

28 दिसम्बर 2022
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जिंदगी को क्या कहूँ? अतीत का खंडहर या फिर भविष्य की कल्पना! भविष्य की आशा में अटका आदमी उठता, बैठता, काम करता बड़ी हड़बड़ी में भागता रहता कुछ निश्चित नहीं किसलिए? जिंदगी में कितने झूठ बना लेता

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बढ़ते आतंकवाद का विश्लेषण

29 दिसम्बर 2022
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आज भी विश्व का शायद ही कोई ऐसा देश होगा जहाँ किसी न किसी रूप में आतंकवाद देखने को नहीं मिलेगा। यदपि आज विश्व के विकसित देशों के साथ ही विकासशील देशों की एकजुटता के कारण वे आतंकवाद के पर कतरने में बहुत

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लाठी मारने से पानी जुदा नहीं होता है

30 दिसम्बर 2022
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लाठी मारने से पानी जुदा नहीं होता है। हर पंछी को अपना घोंसला सुन्दर लगता है।। शुभ कार्य की शुरुआत अपने घर से की जाती है। पहले अपने फिर दूसरे घर की आग बुझाई जाती है।। दूसरे के भरे बटुए से अपनी

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