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बरसात की सुबह

1 अगस्त 2024

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बरसात की सुबह आई, लेकर ताज़गी की बहार,
धरती पर बिखरी हरियाली, झूम उठे पेड़-पहाड़।

फूलों पर ओस की बूंदें, चमक उठी जैसे मोती,
नवीन जीवन की कहानी, कह रही है ये ज्योति।

पंछी गा रहे गीत नए, नदियाँ बहती अविरल,
आसमान से गिरती बूंदें, करती मन को निर्मल।

शीतल पवन का झोंका, सुकून दिल को देता,
बरसात की इस सुबह में, सब कुछ नया सा लगता।
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