क्रिकेट अगर अनिश्चितताओं का खेल है तो साथ ही संवेदनाओं का खेल भी है. क्रिकेट से जुड़ी कितनी ही घटनाएं हैं जो कभी ख़ुशी से भर देती हैं तो कभी द्रवित करती हैं. आज एक ऐसा ही किस्सा.
गॉर्डन ग्रीनिज़. वेस्ट इंडीज के महान बल्लेबाज़. 30 अप्रैल 1983 की बात है. इंडिया और वेस्ट इंडीज के बीच एंटीगुआ में टेस्ट मैच चल रहा था. तीसरा दिन था. भारत के पहली पारी में बनाए 457 रनों का जवाब देने के उतरी वेस्ट इंडीज टीम की तरफ से ओपनिंग करने गॉर्डन ग्रीनिज़ और डेसमंड हेंस आए थे. उस मैच से पहले तक गॉर्डन ग्रीनिज़ का फॉर्म थोड़ा डावांडोल था. पिछले छह सालों में वो कोई सेंचुरी नहीं लगा पाए थे. दिन ख़त्म होने तक सेंचुरी का ये लंबा सूखा ख़त्म हो चुका था.
हेंस और गॉर्डन ग्रीनिज़ ने शानदार बैटिंग की. कपिल देव की ग़ैरहाज़िरी में कमज़ोर इंडियन बॉलिंग को खूब मार लगाई. पहले विकेट के लिए ही 296 रन बना डाले. इस स्कोर पर हेंस आउट हो गए. जब दिन ख़त्म हुआ स्कोर बोर्ड पर एक विकेट पर 301 रन लगे थे. गॉर्डन ग्रीनिज़ 154 रन बनाकर नॉट आउट थे. ये उनका तब तक हाईएस्ट टेस्ट स्कोर था.
दूसरे दिन जब फिर से वेस्ट इंडीज बैटिंग करने उतरी गॉर्डन ग्रीनिज़ की जगह विव रिचर्ड्स बैट थामे मैदान में आए. क्यों? क्योंकि ग्रीनिज़ को इमरजेंसी में बारबाडोस जाना पड़ गया था. जहां उनकी दो साल की बेटी रिया को हॉस्पिटल में भरती किया गया था. रिया को किडनी इंफेक्शन डिटेक्ट हुआ था और उसकी हालत बेहद नाज़ुक थी.
बहरहाल, अगले दो दिनों तक ग्राउंड पर खेल की जद्दोजहद जारी रही और गॉर्डन ग्रीनिज़ हॉस्पिटल में अपनी बिटिया के सिरहाने बैठे रहे. मैच ड्रॉ हुआ. गॉर्डन ग्रीनिज़ टॉप स्कोरर रहे. उन्हें ही मैन ऑफ़ दी मैच का अवॉर्ड मिला जिसे लेने के लिए वो उपलब्ध नहीं थे. उधर हॉस्पिटल में टैलेंटेड डॉक्टर्स की तमाम कोशिशों के बावजूद बच्ची की तबियत बिगड़ती गई. दो दिन बाद उसने हार मान ली. उसकी डेथ हो गई.
सम्मान में स्कोर कार्ड पर गॉर्डन ग्रीनिज़ के नाम के आगे ‘रिटायर्ड नॉट आउट’ लिखा गया. इस तरह का टेस्ट क्रिकेट की हिस्ट्री में सिर्फ एक स्कोर कार्ड है.