जब कर लिया उन्होंने फैसला,
मुझसे जुदा हो जाने का
मैं भी रुख मोड़,
दूजे राहों पर चल पड़ी थी।
जैसे ही मेरी आंचल,
कुछ खींची खींची सी मुझे लगी।
महसूस हुआ कि वो मुझे,
अब रोकना चाह रहे हैं...
मैं भी बड़े मगरूरीयत से,
इतर कर पीछे पलटी थी
मालूम हुआ कमबख्त
मेरे ही पांव से मेरी
आंचल तबी पड़ी थी।।
'हिया'