क्या क्या न उसनेहम को खोटी-खरी सुनाईशिकवा किया जो हमनेगाली का आज उससेशिकवे के साथ उसनेइक और भी सुनाई....-अश्विनी कुमार मिश्रा
गली, मौहल्ले, गांव, कस्बा, शहर, प्रदेश, देश। सभी जगह है लाकडाउन। सभी जरूरी काम, मीटिंग, स्कूल, कालेज, आफिस हुए लाक। सभी जगह है लाकडाउन। राशन, दवाईयां, घर में रहना हुआ सबसे ज्यादा जरूरी, सभी जगह है लाकडाउन। घर में रहकर, तोता उड़, चिड़िया उड़, कैरम, गीटे, सांप-सीढी, लूडो गोटी, पासा बच्चों के संग खे
पान काखोखा पहली हीनज़र मे दिया उसने धोखा।हम भी नकम थे उसीके गली मे,रख दियापान का खोखा।जब भीनिकलती वो अपनी गले से,नजरेलड़ाके वो, नज़रे चुराती वो।कभीइतराकर कभी मुस्कराकर,हमे वोजलाती, हमे वो जलाती।जाती कहाँथी, हमे न बताती,हम भी उसीकी यादों मे जलने लगे...पहली हीनज़र मे दिया उसने धोखा।हम भी नकम थे उसीके गली