ये वक्त शिक्षण संस्थानों को दुहने का है. तमाम नेताओं के भांति-भांति के स्कूल-कॉलेज खुले हैं. जो जाहिर सी बात है कि धर्मार्थ नहीं हैं. दो दिन में मैंने शिक्षा से जुड़े दो विपरीत छोर देख लिए हैं. एक तरफ मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी है, जिसके लाइफटाइम चांसलर सपा नेता आजम खान हैं. दूसरी तरफ एक सरकारी प्
मैं नित्य अपने मन मे उभरते हुए विचारो को कलम के माध्यम से ब्लॉग द्वारा अपने विचारो को रखता हु व आप सभी मित्रो से साझा करता हु आज मेरी माँ का एक ममतामयी झूठ मेने देखा वह झुठ मेरी माँ ने मुझसे बोला मे तुरंत समझ भी गया की मेरी माँ मुझसे झुठ बोल रही है आंखो मे आँसू भर आए माँ के ममतामयी झुठ से सोचा क्यू
पूरी जिंदगी देश के लिए नाम कर देने वाले स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय ने सीने पर लाठियां खाकर अपने प्राण भी कुर्बान कर दिए थे.उनको जन्म जयंती पर शत शत नमन
ओशो, दुनिया को संभोग से समाधि तक ले जाने का दावा करने वाला शख्स. दुनिया के एक हिस्से में उन्हें जहां लव गुरु के तौर पर जाना जाता है, वहीं नेपाल यूनिवर्सिटी में उनकी किताब दर्शनशास्त्र के कोर्स में शामिल की गई है. आचार्य रजनीश का जीवन तमाम विरोधाभासों से भरा है. तमा
नामुमकिन शायद कुछ नहीं बस कर गुजरने का हौसला होना चाहिए !
लाल बहादुर शास्त्री को मरे हुए आज पचास साल हो गये. पर ताशकंद में 11 जनवरी 1966 की रात को क्या हुआ था, ये आज भी हिंदुस्तान में चर्चा का विषय बना रहता है. सरकारें आईं और गईं. पर किसी ने इस मौत से पर्दा नहीं उठाया. हमेशा विपक्ष के लोग ही मांग करते हैं कि रहस्य खोला जाए.1965 की भारत-पाक लड़ाई के बाद ताश
आज 12 जनवरी 2017 में हम स्वामी विवेकानंद की 154 वी जन्म जयन्ती मना रहे है| जिसे हम युवा दिवस के रूप में जानते है| आज से 154 वर्ष पूर्व एक बालक का जन्म हुआ जिसका नाम विश्वेश्वर रखा गया जिसे घर में प्यार से नरेंद्र के नाम से बुलाया जाता था | लेकिन ये बालक अपनी अद्भुत
सरकार भले ही गांव को सड़कों से जोड़ने के बड़े-बड़े दावे कर रही हो लेकिन भरतपुर जिले का एक गांव ऐसा भी है जिसके आने-जाने का कोई रास्ता नहीं है और शहर के करीब स्थित इस गांव के लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं.गांव के लोग अनगिनत बार सरकार के नुमाइंदों से रास्ते की फरियाद
आजकल एक बार फिर पितृपक्ष चल रहा है। अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर श्राद्ध किसका करना चाहिए? मरे हुए परिवारी जनों का अथवा जीवित माता-पिता का? यह एक गम्भीर चिन्तन का विषय है। मुझे श्राद्ध का अर्थ यही समीचीन लगता है कि अपने जीवित माता
शायद आप इनके बारे में ये सब नहीं जानते होंगे जो अब आप इसमें पढ़ेंगे ! भारत तो है ही चमत्कारों और संतो का देश और संसार में भारत जैसा कोई दूसरा देश है भला . लेकिन पहले तो नाम जान लीजिये: सन्त ज्ञानेश्वर ।सन्त नामदेव ।सन्त एकनाथ ।सन्त तुकाराम ।सन्त रैदास । 1. सन्त ज्ञानेश्व
तनोट माता का मंदिर जैसलमेर से करीब 130 किलो मीटर दूर भारत – पाकिस्तान बॉर्डर के निकट स्थित है। यह मंदिर लगभग 1200 साल पुराना है। वैसे तो यह मंदिर सदैव ही आस्था का केंद्र रहा ह
1946 से लेकर 1949 तक जब भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया जा रहा था, उस दौरान भारत और भारत से जुड़े तमाम मुद्दों को लेकर संविधान सभा में लंबी लंबी बहस और चर्चा होती थी. इसका मकसद था कि जब संविधान को अमली जामा पहनाया जाए तो किसी भी वर्ग को यह न लगे कि उससे संबंधित मुद्दे की अनदेखी हुई है. वैसे तो लग
एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान हनुमान डॉक्टर के रूप में पूजे जाते हैं. मान्यता है कि इस मंदिर के हनुमान स्वयं अपने एक भक्त का इलाज करने डॉक्टर बनकर पहुंचे थे. इस मंदिर से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. श्रद्धालुओं का मानना है कि, डॉ. हनुमान के पास सभी प्रकार के रोगों का
सावधान हो जाइये बगैर आपकी जानकारी के और आपके डिटेल्स कहीं से भी प्राप्त करके कोई भी आपके नाम से बैंक में अकाउंट खोल सकता है। मनचाहा पता और मनचाही जगह पर और फिर उसके आधार पर क्रेडिट कार्ड भी ले सकता है और लाखों की खरीदारी भी क