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आधा से जादा YouTube Views Mobile Device से आता है.महिला (Female) User 38 % और पुरुष (Male) User 62 % है.इसकी शुरुआत Dating Website के रूप में की गई थी !यह अभी 39 देशों में 76 भाषाओं के साथ उपलब्ध है.औसतन प्रतिदिन Mobile YouTube Views 1,

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देखा जाए तो क्या फर्क है अंगूठा लगाने और सिर्फ तीन-चार अक्षरों का नाम लिख लेने में, जबकि अपने हस्ताक्षर करने वाले को यही मालुम न हो कि वह जिस कागज़ पर अक्षर जोड़-जोड़ कर अपना नाम लिख रहा है उसका मजमून क्या है। आज छात्रों को College और Collage या Principal और Principle में फर्क नहीं पता। अंग्रेजी को तो

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अगस्त महीने की आखिरी किताब थी जीनेट वॉल्स की लिखी 'द ग्लास कैसल'। जीनेट वॉल्स एक अमरीकी जर्नलिस्ट हैं और ये उनका लिखा संस्मरण है। एक किताब जो उनके और उनके पिता के रिश्ते के बीच कुछ तलाश करती हुई सीधे दिल में उतरती है और कुछ हद तक उसे तोड़ भी देती है।इंसान एक परिस्थितिजन्य पुतला है। उसका व्यक्तित्व पर

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भारत से जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य इंडिया शब्द की उत्पत्ति – ‘इंडिया’ नाम की उत्पत्ति इंड्यूस नाम की नदी से हुई है जो कि इंड्यूस वैली की घाटियों में बहा करती थी।आकार – भारत विश्व में सबसे बड़े आकार वाले देशों की लिस्ट में सातवें नंबर पर है .विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र – दु

 किसी भी घटना के कई पक्ष और पहलू होते हैं .हर घटना को अलग अलग चश्मों से गहरी या सतही पड़ताल के ज़रिये अलग अलग निष्कर्षों पर पहुंचा जा सकता है . निष्कर्ष वही होते हैं जो रायों में परिवर्तित हो जाते हैं और रायें पीढ़ी दर पीढ़ी , समाज की हर ईकाई के माध्यम से संस्थागत हो जाती हैं . और इस तरह वे अमूमन संस्कृ

नमस्कार संजय जी, आज तक के तेज चैनल पर आप जी की पत्रकार वाली कहानी सुनी बेशक आप एक महान पत्रकार हैं इस कारण और कुछ लोगों को यह कहानी मजेदार लगी होगी क्योंकि वो कहानी का ए

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संभोगक्रिया के समय बहुत से पुरुष अपनी बीवियों को सेक्स के अलग-अलग आसनों को प्रयोग करने की प्रयोगशाला बना देते हैं. पुरुष अक्सर किताबों या फिल्मों में सेक्स करने के अलग-अलग तरीकों को देखकर अपनी पत्नी के साथ भी उसी तरह सेक्स करने के लिए जोर डालते हैं. लेकिन सेक्स करने के यह तरीके या आसन जो दिखाए जाते

आज वर्तमान में हमारे देश की सबसे गंभीर समस्या तेजी से पनप रही है वह है तलाक नामक बीमारी ! जो व्यक्ति या नारी इस बीमारी से गुजरा है या गुजर रहा है तलाक नाम सुनते ही खुद अपने आपको दुर्भाग्यशाली समझने लग जायेगा ! आखिर यह समस्या क्यों पनप रही है ! आज क्यों अदालतो में हजारो लाखो इस तरह के केस लंबित पड़े

मार्को पोलोपारुलघूमने का शौक रखने वालों के लिए ही तो हम लाए हैं नक्शेबाज सीरीज. ‘दी लल्लनटॉप’ की इस नई सीरीज की आज तीसरी किस्त पढ़िए. इसे लिखा है पारुल ने. इस किस्त में हम आपको वेनिस के मार्को पोलो के बारे में बताएंगे. बताएंगे मतलब बताएंगे. क्योंकि हम नहीं चाहते आप या हम घूमने जाने की बात पर छोटे-छो

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जब व्यक्ति का अपनी सोच और उसे पूर्ण करने का पूर्ण विश्वास होता है तो वह अवश्य सफल होता है। प्रत्येक प्रयास सफल होने की सीख देता है और आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करता है। विश्वास से ही परिश्रम करने का साहस मिलता है और सफलता प्राप्त करने की शक्ति मिलती है। विश्वास जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है

प्रतीकात्मकता  हम प्रतिवर्ष सितंबर माह में हिंदी दिवस, हिंदी सप्ताह या फिर हिंदी पखवाड़ा मनाते हैं. साल भर की हिंदी के प्रति जिम्मेदारी एक दिन , एक सप्ताह या फिर एक पखवाड़े में निपटा देते हैं. फिर साल भर हिंदी की तरफ देखने की जरूरत ही नहीं है. हिंदी के इस पर्व में बतियाने, भाषणबाजी करने या फिर कुछ प

गुरुवर अत्यंत विनत भाव से पूछता हूँ एक प्रश्न आपसे ज्ञान कौन सा है कहिये मुझसेसमस्त विश्व जान लूँ जिससे।  ओम ,परम पूज्यनीय आप हमारे   करते हैं प्रार्थना मिल हम सारे कान सुने हमारे जो शुभ हो देखें नेत्र वही जो शुभ हो यज्ञादि कर्म हमारे शुभ हों  दक्ष बनें,अंग-प्रत्यंग पुष्ट होंजीवन अवधि योग पूर्ण होदे

बलिहारी गुरु के चरणारविन्द की 

गुप्त रहस्य छिपाये रखिएन दूसरों से इतने खुल जाइये कि दूसरों को आपमें कुछ आकर्षण ही नहीं रहे, न इतने दूर ही रहिये कि लोग आपको मिथ्या अभिमानी या घमंडी समझें। मध्य मार्ग उचित है। दूसरों के यहाँ जाइये, मिलिए किन्तु अपनी गुप्त बातें अपने तक ही सीमित रखिए। “आपके पास बहुत सी उपयोगी मंत्रणायें, गुप्त भेद, ज

ब्रह्म ,ब्रह्मा और ब्राह्मण का अर्थ कितने प्रतिशत लोग जानते है . मेरे अनुमान से शायद करोड़ो में एक इसका सच्चा अर्थ जाननेवाला है . अपने आप को हिन्दू कहने वाले क्या हिन्दू का अर्थ या हिन्दू की परिभाषा जानते है .विश्व में कोई भी हिन्दू धर्म नहीं है . हिन्दू धर्म अपने आप में कुछ भी नहीं है . भारत वर्ष मे

... यह बात भी उतनी ही सच है कि अमेरिकी वैज्ञानिकों ने मानव-सभ्यता के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान भी उतनी ही शिद्दत से दिया है. इस बार उनकी उपलब्धि तो बेहद खास है, जो हमें ब्रह्माण्ड के रहस्यों के और भी नजदीक ले जा सकता है. लगभग पांच साल की अथक मेहनत और 1.1 अरब डॉलर की भारी-भरकम राशि खर्च करने क

संसार की प्रत्येक वस्तु का कोई न कोई निर्माता होता है तभी वह बनती है। इतने बड़े विश्व का भी कोई न कोई निर्माता होना चाहिए। सृष्टि की विभिन्न वस्तुओं में से प्रत्येक में अपने-अपने नियम क्रम पाये जाते हैं। उन्हीं के आधार पर उनकी गतिविधियां संचालित होती हैं। यह नियम न होते तो सर्वत्र अस्त-व्यस्तता और अ

अहन्यहनि भूतानि गच्छन्तहि यमालयम ।शेषा:स्थावरमिच्छ्न्ति,किमाश्चर्यमत:परम् ।।- हम देख रहे हैं कि प्रतिदिन प्राणी मृत्यु के मुख में समा रहे है जो उत्पन्न हुए हैं वे मर रहे हैं फिर भी जो शेष हैं ।वे सोचते हैं कि हम सदा जीवित रहेंगे,इससे बढ़कर और क्या आश्चर्य की बात हो सकती है।

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