हमारे शब्द ही हमारी पहचान है दोस्तो जब भी हम किसी से बात करते है हमारे मुख से निकलने वाले शब्द दूसरे व्यक्ति पर क्या प्रभाव डालेंगे यह हम पर निर्भर करता है अगर हम किसी को गलत कहेंगे तो हमे भी गलत ही सुनने को मिलेगा । अगर हम अच्छा आचरण अच्छे शब्दो का इस्तेमाल करते है तो यह हमारे परिवार हमारे संस्कार हमारे बढो का मान होगा । हमारे संस्कार ही हमारी पहचान है दुनियाभर मे इससे अच्छी शिक्षा कोई नही है जब शाम के समय हम अपने परिवार मे जाते है तो काम की टेन्शन मे अपने परिवार अपनी पत्नी अपने बच्चो से क्या हम सही तरीके से बात करते है क्या हम अपने काम कि वजह से अपने परिवार के माहौल को खराब तो नही कर रहे है हम अपने परिवार से संस्कार तो गायब नही कर रहे है हम अपने परिवार मे काम की वजह से अपने मूल उद्देश्यो को तो नही भूल रहे है इसका मैन कारण हमारे शब्द है अगर हम किसी से बूरे बन गए है तो वह हमारे शब्द है भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि हे अर्जुन मूख से निकले हुए शब्द या तीर से छुटा हुआ बाण अपने लक्ष्य पर ही जाकर लगेगा । जो शब्द द्रोपदी ने दुर्योधन से कहे थे अन्धे का पुत्र अन्धा वह शब्द दुर्योधन को बुरी तरह से घायल कर गये थे । इसलिए जो भी हम अपने मूख से बोलते है वह दूसरे पर क्या प्रभाव डालेंगे यह तो सुनने वाला ही बता सकता है कि वह इसका क्या परिणाम देगे । हमारे परिवार का ओर हमारा सम्मान हमारे आचरण हमारे शब्दो से है जब हम अपना इन्टरव्यू देने जाते है तब हमारे शब्द ही हमारी पहचान बनते है इसीलिए हमारे शब्द ही हमारे संस्कार है ।