1 -कलयुग है ससांर मे छाया ।
कोई अपनो को ना पहचाने रे ।।2।।
2-ना तो कोई भाई है ना कोई बहना रे ।
ना बाप को पहचाने ना माॅ को रे ।।2।।
3-कलयुग है ससांर मे छाया ।
कोई अपनो को ना पहचाने रे ।।
4-अब तो पत्नी प्यारी लगती माॅ लगती दुश्मन रे ।
बहन लगती बोझ । भाई लगता दुश्मन रे ।।2।।
5-अब ससुराल के सारे रिश्तेदार है अपने रे ।
भाई का रिश्ता फीका पडता जाता रे ।।
6-आने वाले समय मे अब तो ओर भी अंन्धकार छायेगा ।
कलयुग की रे पहचान है ये ना अपनो को पहचानेगा ।।
7-श्री राम ने कहा था ऐसा कलयुग आयेगा ।
चारो ओर होगी कलयुग की छाया रे । ओर होगा मानव के जीवन मे अन्धकार रे ।।
8-दुष्ट लोग राज काज चलाए गे ।
ओर प्रजा धोखा खाएगी ।।2।।
9-सन्तं संन्यासी ज्ञान ना बाटे रे ।
अब तो चारो ओर कलयुग की छाया रे ।।
10-कलयुग है ससांर मे छाया ।
कोई अपनो को ना पहचाने रे ।।2।।