श्राद्धकर्म की यह परम्परा भारत मे सदियो से चली आ रही है युग बीत गये सनातन की यह परम्परा चली आ रही है इसमे लोग अपने पित्रो को पूजते है श्राद्ध पूरे 16 दिन चलते है जब तक यह कार्यक्रम चलता है कोई भी घर का सदस्य नयी वस्तु नही खरीद सकता है खास कर नमक , झाडू ओर तेल ये तीन वस्तु ऐसी है जो इन्हे इन 16दिन मे नही खरीदना चाहिए एक बार की बात है जब कर्ण मरने के बाद सर्वग गया तो उसके सब कर्म श्रेष्ठ थे राजा इन्द्र ने सर्वग मे प्रवेशद्वार पर रोक लिया राजा इन्द्र ने कर्ण से कुछ प्रश्न किये जिनके उत्तर कर्ण ने दे दिए। एक अंतिम प्रश्न पूछा की क्या तुमने अपने पित्रो का श्राद्ध किया तो कर्ण ने ना मे उत्तर दिया । राजा इन्द्र ने कर्ण को दूसरा जन्म लेने के लिए कहा कि तुम अपने पित्रो का श्राद्ध करने के बाद ही सर्वग मे प्रवेश कर सकते हो हमारे ग्रंथो मे अनेक कथाए प्रचलित है यह परम्परा सदियो से चली आ रही है इसमे लोग रोज अपने पित्रो के लिए खीर आदि कई प्रकार के भोजन बनाते है ओर अपने पित्रो का आशीर्वाद लेेते है कोई हरिद्वार जाता है कोई गया जाता है इसमे सबसे श्रेष्ठ स्थान गया है यहा लोग दूर दूर से आते है ओर श्राद्ध कर्म करते है 16 वे दिन कौवे को भोजन करा कर श्राद्ध समाप्त हो जाता है ओर अपने पित्रो से आशीर्वाद पाते है ।