सुभाषचंद्र बोस वो नाम है जो किसी पहचान का मोहताज नही । एक ऐसा क्रान्तिकारी जो हर हिन्दुस्तानी के दिलो मे बस्ता है आज भारत को ऐसे वीर पर गर्व है नेता जी सुभाषचंद्र बोस ने ऐसे वक्त मे भारत के युवाओ को एकजुट किया जब भारत के लोगो को किसी के साथ की बहुत आवश्यकता थी नेता जी सुभाषचंद्र बोस वो बारूद था जो सारे अंग्रेजो को जलाकर राख करने के लिए आतुर था । नेता जी जानते थे की चरखे से आजादी नही मिलने वाली है इसलिए उन्होंने आजाद हिंद फोज की स्थापना की 15 दिसंबर 1941 को की थी । 21 अक्टूबर 1943 को इसकी कमान अपने हाथ मे ली। शुरुआत मे आजाद हिंद फोज की सख्या 16000 हजार थी जो बाद मे 100000 लाख तक हो गयी थी भारत की जनता से सुभाषचंद्र बोस जी ने कहा । तुम मुझे खुन दो मे तुम्हे आजादी दूंगा। यह ऐतिहासिक नारा था जो आज भी नेता जी सुभाषचंद्र बोस की याद दिलाता है नेता जी ने जापान मे आजाद हिंद फोज की स्थापना की । नेता जी जर्मनी गये ओर हिटलर से मुलाकात की ओर भारत को आजाद कराने के लिए प्रयत्नशील रहे । गांधी जी खुश नही थे क्योकि उनको लगता था कि आजादी हिसां से नही अहिंसा से मिल जाएगी परन्तु अंग्रेज हिसां की ही भाषा समझते थे जब दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था तो अंग्रेजो ने गांधी जी से कहा की आप दूसरे विश्वयुद्ध मे हमारा साथ दिजिए बदले मे जब युद्ध खत्म हो जायेगा हम भारत को आजाद कर देगे । परन्तु सुभाषचंद्र बोस जी जानते थे कि अंग्रेज गांधी जी के साथ छल कर रहे है जैसा उन्होंने प्रथम विश्व युद्ध मे किया था इसलिए सुभाषचंद्र बोस जी अंग्रेजो की चाल समझ रहे थे सुभाषचंद्र बोस को विश्व की महाशक्तियो जापान ओर जर्मनी का भी स्पोट था तमाम देश अंग्रेजो से आजादी चाहते थे भारत की जनता भी त्राहि त्राहि कर उठी थी देेश पर अंग्रेजो के अत्याचार बढते ही जा रहे थे तब सुभाषचंद्र बोस ने भारत की जनता का हाथ थामा ओर अंग्रेजो के विरुद्ध हथियार उठाए। इनकी सेना बहादुरी से लडती जा रही थी कि तभी जापान पर दो परमाणु बम गिराए गये ओर जापान ने आत्म समर्पण कर दिया ओर इसी के साथ दूसरा विश्वयुद्ध का अन्त हो गया । इसका असर आजाद हिंद फोज पर पडा । ओर अंग्रेजो का रूख अब भारत की ओर ही हो गया जिससे आजाद हिंद फोज की हार होने लगी । इधर विमान दुर्घटना मे रेडियो के माध्यम से सुभाषचंद्र बोस की दुखद मृत्यु की सूचना मिली । इससे भारत की जनता को बहुत ही गहरा धक्का लगा । इधर अंग्रेजो पर भी महाशक्तियो का दबाव पडने लगा था । कि अब भारत को आजाद करने का वक्त आ गया है इग्लैंड अब ओर युद्ध नही झेल सकता था इसलिए उसने 15 अगस्त 1947 को भारत को आजाद करने की घोषणा कर दी । जिससे समस्त भारत मे खुशी की लहर दौड गयी । यह खुशी का दिन हमारे देश के क्रान्तिकारीयो के भगतसिंह, सुभाषचंद्र बोस, चन्द्र शेखर आजाद , झांसी की रानी , ओर न जाने कितने क्रान्तिकारीयो ने अपने शीश धरती माता पर चढाये है तब जाकर यह देश आजाद हुआ । मेरे देश के वीरो कभी तिरंगे को ना झुकने देना । चाहे शीश कितने ही चढाने पढ जाये ।
जय हिंद जय भारत।